रायपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 23 जनवरी। पूर्व विधायक राधेश्याम शर्मा अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते रहे हैं। सहकारिता आंदोलन से जुड़े शर्मा करीब दस साल जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के अध्यक्ष रहे। इस दौरान बैंक ने सबसे ज्यादा मुनाफा अर्जित भी किया।
भाटापारा के पूर्व विधायक राधेश्याम शर्मा अविभाजित मध्यप्रदेश में रायपुर संभाग के बड़े नेताओं में गिने जाते रहे हैं। वो 80 के दशक में दिग्गज नेता अर्जुन सिंह के सानिध्य में रहे। और वो रायपुर संभाग के बड़े सहकारिता नेता माने जाते थे। वो वर्ष 82-83 में जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक से जुड़े, और फिर उपाध्यक्ष बनाए गए। तब सीनियर विधायक महेन्द्र बहादुर सिंह अध्यक्ष थे। उस समय महेन्द्र बहादुर सिंह ने एक तरह से बैंक का कामकाज राधेश्याम शर्मा पर छोड़ दिया था। बाद में राधेश्याम शर्मा अध्यक्ष भी बने। वो रायपुर ग्रामीण जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी बनाए गए।
राधेश्याम शर्मा किसी एक खेमे से नहीं जुड़े। पहले अर्जुन सिंह और बाद में वो विद्याचरण शुक्ल के करीबी हो गए। फिर वर्ष-93 पहली बार भाटापारा से विधायक निर्वाचित हुए। वो बैंक के अध्यक्ष पद पर भी बने रहे। इस दौरान कई मौके ऐसे भी आए, जब उन्होंने अपनी ही सरकार को कटघरे पर खड़ा किया। यही नहीं, पार्टी के बड़े नेताओं के खिलाफ बयानबाजी से पीछे नहीं रहे। राज्य बनने के बाद पहले वो तत्कालीन सीएम अजीत जोगी के करीबी हुए। बाद में उनके विरोधी हो गए। उन्हें बैंक अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। भाजपा सरकार में एक साल के लिए वो फिर बैंक के अध्यक्ष बने। इसके बाद राधेश्याम शर्मा सक्रिय राजनीति से दूर होते चले गए।
राधेश्याम शर्मा पर बैंख के अध्यक्ष पद पर रहते भ्रष्टाचार के भी आरोप लगे, लेकिन उनके कार्यकाल में बैंक ने ऊंचाईयों को छुआ। रायपुर जिला सहकारी बैंक की नई शाखाएं खुली, और प्रदेश का सबसे ज्यादा लाभ अर्जित करने वाला बैंक बना।
वे पिछले कुछ वर्षों से बीमार थे। उनका निधन सोमवार तडक़े हो गया और अंतिम संस्कार शाम मारवाड़ी श्मशान घाट में किय गा।