दुर्ग

जिस पर भगवत कृपा, वही भगवान को पूर्णतया जान पाएगा-श्रीश्वरी देवी
24-Jan-2023 6:59 PM
जिस पर भगवत कृपा, वही भगवान को पूर्णतया जान पाएगा-श्रीश्वरी देवी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर, 24 जनवरी।
पंचम मूल जगदगुरु स्वामीश्री कृपालु महाराज की कृपा प्राप्त प्रचारिका श्रीश्वरी देवी ने आईटीआई ग्राउंड पावर हाउस में तीसरे दिन के प्रवचन में श्वेताश्वतरोपनिषद के मंत्र तमेव विदित्वाति मृत्युमेति ननन्य: पंथा चद्यते यनाय की व्याख्या को क्रम में बताया। 

उन्होंने कहा कि ईश्वर को जानकर ही कोई जीव माया से पार हो सकता है, इसका अन्य कोई मार्ग नहीं है किन्तु हम ईश्वर को कैसे जानें? इसके उत्तर में दीदीजी ने वेदों-शास्त्रों से ढेर प्रमाण देते हुए बताया कि ईश्वर को कोई जान ही नहीं सकता, क्योंकि ईश्वर इन्द्रिय, मन एवं बुद्धि से परे है। हमारी इन्द्रिय, मन, बुद्धि प्राकृत है एवं भगवान दिव्य हैं। अत: प्राकृत इन्द्रिय, मन, बुद्धि दिव्य भगवान को भला कैसे ग्रहण कर सकती है। साथ ही साथ भगवान इन्द्रिय मन, बुद्धि के प्रेरक हैं, प्रकाश हैं, घारक हैं, ज्ञाता हैं एवं सर्वज्ञ हैं और हम जीव अल्पज्ञ हैं इसलिए भगवान को नहीं जाना जा सकता। पुन: वेदों शास्त्रों से ही प्रमाण देते हुए उन्होंने यह भी सिद्ध किया कि भगवान को एक गधा भी जान सकता है लेकिन कैसे? जिस पर कृपा हो जाए, वही भाग्यशाली जीव उस भगवान को जान सकता है। केवल साधन के बल पर हम भगवान को नहीं जान सकते, भगवत्कृपा आवश्यक है लेकिन यह कृपा (भगवत्कृपा) जिसके द्वारा हम भगवान को जान सकते हैं, वह कृपा हमें कैसे प्राप्त होगी? इसका उत्तर देते हुए चौथे दिवस के प्रवचन में उन्होंने कहा कि भगवान को भगवत कृपा द्वारा ही जाना जा सकता है और भगवत्कृपा शरणागति द्वारा ही मिलेगी। 

उन्होंने वेदों का उदाहरण देते हुए कहा कि जो यह समझता है कि ईश्वर समझने का विषय हैं, वह नासमझ है क्योंकि भगवान, इन्द्रिय मन और बुद्धि से परे हैं। हमारी इन्द्रिय, मन, बुद्धि मायीक है, मटीरियल है किन्तु भगवान दिव्य हैं, इसलिए हमारी मायिक इन्द्रिय मन, बुद्धि दिव्य भगवान को ग्रहण नहीं कर सकती। महानतम् बुद्धिमानों की बुद्धि से भी भगवान को हमारी मायीक इन्द्रिय, मन, बुद्धि से नहीं जाना जा सकता, अपितु जिस बड़भागी जीव पर भगवान कृपा कर दें और अपनी दिव्य शक्ति प्रदान कर दें वही भाग्यशाली जीव इस अज्ञेय भगवान को पूर्णतया जान लेता है एवं इस अदृश्य ईश्वर का पूर्णत: दर्शन कर लेता है किन्तु भगवान की यह कृपा भी कोई आकस्मिक घटना नहीं है कि एक पर कृपा हो जाए और दूसरे पर न हो। अपितु ये कृपा भी किसी आधार पर आधारित है, वह किसी कारण की अपेक्षा रखती है। वह कारण क्या है जिसके पूर्ण करने पर भगवान की कृपा (भगवत्कृपा) होती है। इस प्रश्न के उत्तर में वेद गीता, भागवत, रामायण के साथ-साथ अन्य धर्मग्रंथों तथा बाइबिल, कुरान शरीफ, गुरुग्रंथ साहिब इत्यादि से प्रमाण प्रस्तुत करते हुए कहा कि भगवान शरणागत पर ही कृपा करते हैं। अर्थात हमें भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए भगवान के शरण में जाना होगा। गौरतलब हो कि श्रीश्वरी देवी के प्रवचन में राजनांदगांव, दुर्ग, भिलाई, रायपुर, बिलासपुर से श्रद्धालुगण बडी़ संख्या में पहुंच का प्रवचन लाभ प्राप्त कर रहे हैं। मंगलवार को प्रवचन के पांचवें दिन श्रीश्वरी देवी भगवत्कृपा के विस्तृत तरीकों पर प्रवचन करेंगी। यह जानकारी आयोजन मंडल के भरत विश्नानी ने दी।

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