सरगुजा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अंबिकापुर, 29 जनवरी। राष्ट्रीय किसान आंदोलन के नेतृत्वकारी किसान नेता राकेश टिकैत हसदेव अरण्य को बचाने चल रहे आदिवासी-किसानों के संघर्ष को समर्थन देने 13 फरवरी को हसदेव के धरना स्थल ग्राम हरिहरपुर पहुँच रहे हैं।
गौरतलब है कि उत्तर छत्तीसगढ़ के घने वन क्षेत्र हसदेव अरण्य, छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद के नाम पर बने मिनीमाता बांगो बांध का कैचमेंट क्षेत्र है। इस बांध से जांजगीर, कोरबा, बिलासपुर जिलों की लाखों हेक्टेयर जमीन सिंचित होती है। जैव विविधता से परिपूर्ण यह विशाल वन क्षेत्र हाथियों का रहवास और उनके आने- जाने का रास्ता है। यहां निवासरत आदिवासियों की आजीविका, संस्कृति और उनके जीवन का प्रमुख आधार भी यहीं जंगल और जमीन है । विभिन्न अध्ययनों के अनुसार हसदेव अरण्य के निवासियों की वार्षिक आमदनी का 60 प्रतिशत हिस्सा जंगल से आता है।
हसदेव को बचाने के लिए पिछले 10 वर्षों से हसदेव के आदिवासी-किसान आन्दोलन कर रहे हैं। अक्टूबर 2021 में हसदेव के ग्रामीणों ने 300 किलोमीटर पदयात्रा कर मुख्यमंत्री और राज्यपाल से मुलाकात की थी। कोई कार्यवाही नहीं होने पर पिछले साल 2 मार्च 2022 से ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं। हसदेव को बचाने की लड़ाई सिर्फ हसदेव के आदिवासी-किसानों की नहीं बल्कि हम सब के जीवन को बचाने की लड़ाई है। आदिवासी किसानों की ऐसी लड़ाई को समर्थन देने 13 फरवरी को राष्ट्रीय किसान आन्दोलन के नेतृत्वकारी किसान नेता राकेश टिकैत हरिहरपुर पहुंचेंगे।