महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 30 जनवरी। राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन के तहत नर्रा के शासकीय उच्चर माध्यमिक विद्यालय में राष्ट्रीय कार्यशाला होगी। राजीव गांधी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स एंड मैनेजमेंट, भारत सरकार के उपक्रम से नागपुर महाराष्ट्र के पेटेंट परीक्षण अधिकारी प्रोफेसर हिमांशु चंद्राकर कार्यशाला में इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स और पेटेंट करने तथा कॉपीराइट करने के तरीकों, फायदे एवं इसके कानूनी पक्षों पर विस्तृत जानकारी देंगे।
संस्था के शाला प्रबंधन एवं विकास समिति के अध्यक्ष विजय शंकर निगम ने जानकारी देते हुए बताया कि पेटेंट कानून की जानकारी के अभाव में ही भारत की नीम और हल्दी पर आज विदेशो का कानूनी अधिकार हो गया है। इसीलिए भारत के नागरिकों को पेटेंट कानून की समझ और उसकी उपयोगिता की जानकारी होना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि बौद्धिक संपदा मानव बुद्धि का उत्पाद है जिसमें रचनात्मकता अवधारणाएं, आविष्कार, औद्योगिक मॉडल, ट्रेडमार्क, गीत, साहित्य, प्रतीक, नाम, ब्रांड आदि शामिल हैं। बौद्धिक संपदा अधिकार अन्य संपत्ति अधिकारों से अलग नहीं हैं। वे अपने मालिक को उसके उत्पाद से पूरी तरह से लाभान्वित होने की अनुमति देते हैं जो शुरू में एक विचार था, जो विकसित और क्रिस्टलीकृत हुआ। यह कानून उसकी पूर्व अनुमति के बिना उसके उत्पाद का उपयोग करने, व्यवहार करने या उसके साथ छेड़छाड़ करने से रोकने का भी अधिकार देते हैं। वह वास्तव में कानूनी रूप से उन पर मुकदमा कर सकता है और उन्हें रोकने और किसी भी नुकसान की भरपाई करने के लिए मजबूर कर सकता है।
चूंकि विद्यालय के छात्र लगातार इन्नोवेशन कर रहे हैं। इनके मॉडल राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में टॉप 10 में चयनित हो रहे हैं। अत: छात्रों के मौलिक नवाचारों और उनके प्रोजेक्ट को कानूनन छात्रों के नाम से पेटेंट हो सके, इसीलिए संस्था के प्राचार्य सुबोध कुमार तिवारी के पहल से शाला में पेटेंट करने वाली संस्था के है। इसके अधिकारी प्रोफेसर हिमांशु चंद्राकर के द्वारा इसकी विस्तृत जानकारी प्राप्त करने कार्यशाला का आयोजन किया गया है। इस कार्यशाला में क्षेत्र के अन्य विद्यालयों के शिक्षक और छात्र भी सम्मिलित होंगे।