बेमेतरा

समापन : कथा सम्पूर्ण करके जगतगुरु ज्योतिर्मठ के लिए हुए रवाना
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 3 फरवरी। हमारे शास्त्रों में दान का बड़ा महत्व है। यदि हम सत्पात्र को दान देते हैं तो हमार धन बढ़ता है और यदि कुपात्र को दान देते हैं तो घटता है। ऐसे में हमें कैसे पता चले कि कौन सत्पात्र है और कौन कुपात्र है? तो इसका एक सरल तरीका यह है कि जो दान करना चाहो उसे भगवान को समर्पित कर दो। दान करने के लिए भगवान को सबसे उत्तम पात्र माना गया है।
कहते हैं कि जब हम भगवान को कोई वस्तु समर्पित करते हैं तो वह हमें अनेक गुना होकर वापस मिल जाता हैं। जिस प्रकार धरती में एक बीज बोने पर वह अनेक गुना होकर हमें वापस देती है। ठीक उसी प्रकार जब हम भगवान को समर्पित करते हैं तो वह भी हमें अनेक गुना होकर वापस मिलता है। उक्त बातें गुरुवार को जगतगुरु शंकराचार्य ने ज्ञान यज्ञ सप्ताह के समापन पर कहीं । उन्होंने कहा कि भक्ति की पहली सीढ़ी तो यह है कि वह पहले भगवान से अन्य किसी वस्तु की आकांक्षा न करके केवल भगवान को ही चाहता है।
जब भक्ति इससे भी और अधिक आगे बढ़ती है तब भक्त भगवान को न चाहकर उनकी सेवा मात्र चाहता है। कथा सम्पूर्ण करके जगतगुरु ज्योतिर्मठ के लिए प्रस्थान किए।
शंकराचार्य के रूप में साक्षात नारायण के दर्शन
7 दिन तक निरंतर श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का भव्य आयोजन किया गया और शंकराचार्य महाराज के श्री मुख से कथा श्रवण करने का अवसर मिला। भक्तों को भी ऐसा लग रहा है कि यह 7 दिन कितने जल्दी बीत गया है। कृषि मंत्री ने कहा द्विपीठाधीश्वर शंकराचार्य के हम भक्त हैं, वैसे ही आप के भी भक्त हैं । छत्तीसगढ़ के लिए सौभाग्य की बात है यहां पर 36 पुराण की कथा अलग-अलग स्थानों पर होगी। कृषि मंत्री ने आशीष छाबड़ा विधायक को भी धन्यवाद दिया कि इतने अच्छे आयोजन की वजह से आसपास से लेकर सभी क्षेत्रों के भक्तों को शंकराचार्य के श्रीमुख से कथा श्रवण करने का अवसर मिला।
आयोजन में आयोजक आशीष छाबड़ा विधायक बेमेंतरा, मोतीराम चन्द्रवंशी, रघुराज सिंह ठाकुर, आचार्य राजेन्द्र शास्त्री, ब्रह्मचारी इंदुभावनन्द, ब्रह्मचारी शारदानंद, साध्वी पूर्णाम्बा, शारदाम्बा, डॉ पवन कुमार मिश्रा धर्मालंकार, सुरेंद्र किरण छाबडा, विनु छाबड़ा, चंद्रप्रकाश उपाध्याय विशेष कार्याधिकारी ज्योतिर्मठ, ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानंद, अशोक साहू आदि उपस्थित रहे।