गरियाबंद

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 3 फरवरी। इलेक्ट्रो होम्योपैथिक चिकित्सक संघ छत्तीसगढ़ ने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव को इलेक्ट्रो होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से संबंधित ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में अवगत कराया गया है कि अपने ही पद्धति में चिकित्सा कार्य पठन-पाठन अनुसंधान हेतु स्वीकृति प्रदान करें जो कि माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर मध्य प्रदेश के आदेशानुसार भारतीय संविधान की धारा 19(1)(ह) के अनुसार चिकित्सा शिक्षा अनुसंधान कार्य पर रोक नहीं है। 14 फरवरी 2011 आरटीआई के पत्र अनुसार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली के अनुसार पूरे भारत में इस चिकित्सा पद्धति पर क्लीनिक एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 लागू नहीं होता है। उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली 22 जनवरी 2015 के पत्र अनुसार शिक्षा अनुसंधान एवं चिकित्सा कार्य पर रोक नहीं है एवं आयुक्त स्वास्थ्य एवं सेवाएं छत्तीसगढ़ के पत्र अनुसार 5 सितंबर 2017 इलेक्ट्रो होम्योपैथी से शिक्षित व्यक्ति को अपने ही पद्धति में चिकित्सा कार्य किए जाने हेतु अनुमति दिया जाना प्रस्तावित है। इसी तरह से मध्य प्रदेश लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल 14 नवंबर 2017 पत्र अनुसार भी इलेक्ट्रो होम्योपैथी एवं अल्टरनेटिव मेडिसिन के चिकित्सकों को अपने ही पद्धति में कार्य करने हेतु अनुमति प्रदान किए हैं इसके अलावा राजस्थान मणिपुर हिमाचल प्रदेश हरियाणा एवं उत्तराखंड उच्च न्यायालय के पत्र अनुसार इलेक्ट्रो होम्योपैथी सिस्टम ऑफ मेडिसिन को चिकित्सा शिक्षा अनुसंधान प्रचार-प्रसार पर किसी भी प्रकार की कोई रोक नहीं है से संबंधित ज्ञापन सौंपा गया है।
संघ की ओर से संघ अध्यक्ष डॉ निलेश थावरे, कौंसिल अध्यक्ष डॉ अशोक दुबे एवं अन्य पदाधिकारी जिसमें डॉ बीएल साहू, डॉ डीआर सिन्हा, डॉ भुनेश्वर साहू, डॉ बीआर देवांगन, डॉ नारायण साहू, डॉ दिनेश साहू, डॉ रमेश सोनसायटी, डॉ कमलजीत साहू, डॉ हलधर पटेल, डॉ यूके जटवार, डॉ हरीश कुराहे, डॉ अवधेश शर्मा, डॉ धर्मेंद्र गुप्ता, डॉक्टर अरुण वर्मा, हरेंद्र साहू, डॉ सचिन सिंह, डॉ सुंदर वर्मा, चेतन पटेल आदि मौजूद थे।