सरगुजा

मैनपाट के बिसरपानी में बरसात के समय इन रास्तों में आना-जाना भी बंद हो जाता है
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 3 फरवरी। सरगुजा जिला के मैनपाट से एक तस्वीर सामने आई है, जिसमें एक गर्भवती को झेलगी पर बैठाकर परिजन अस्पताल ले जाने जद्दोजहद करते नजर आ रहे हैं। हालांकि एक किलोमीटर चलने के बाद उन्हें महतारी एक्सप्रेस मिल गई, जिसके बाद उसे अस्पताल में दाखिल कराया गया, जहां महिला की नार्मल डिलीवरी हुई है।
बताया जा रहा है कि इस पहुँचविहीन ग्रामीण इलाकों में काँवर में उठाकर गर्भवती महिलाओं सहित गंभीर मरीजों को इलाज के लिए अस्पतालों तक ऐसे ही झेलगी में बैठाकर पहुंचाया जाता है। यही नहीं बरसात के समय उक्त मार्ग से आना-जाना भी बंद हो जाता है, जिसके कारण ग्रामीण गंभीर मरीजों को कई किलोमीटर जंगल पार कर मुख्य सडक़ तक पहुंचते हैं और उन्हें अस्पताल दाखिल कराते हैं।
मामला सरगुजा जिले के मैनपाट के बिसरपानी का आश्रित ग्राम कदमटिकरा का है, जहां गर्भवती जयमुनि की प्रसव पीड़ा बढऩे के बाद परिजनों ने कांवर के माध्यम से झेलगी में बैठा कर अस्पताल ले जाने की जद्दोजहद परिजन करते हुए नजर आए, वहीं कुछ दूर खड़ी 102 महतारी एक्सप्रेस में बैठाकर उप स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, जहाँ गर्भवती ने नार्मल डिलीवरी से स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।
ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के समय मे इन रास्तों में आना जाना ही बंद हो जाता है,जिसकी वजह से जंगल के रास्तों से होकर ग्रामीणों को अस्पताल जाना पड़ता है। वहीं पानी की समस्या तो कई साल से जस के तस बनी हुई है। ग्रामीणों को 1 किलोमीटर दूर पीने का पानी लेने जाना पड़ता है।
इधर, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की अधिकारी ने बताया कि आज भी इस क्षेत्र में 3 से 4 गांव हैं, जहाँ से परिजन गर्भवती महिलाओं सहित गंभीर मरीजों को सडक़ नहीं होने की वजह से काँवर के माध्यम से झेलगी में बैठकर शासकीय वाहन तक लाया जाता है।