रायपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 4 फरवरी। तहसील आफिस में विशेष राजस्व शिविर से पहले प्रशासन की नाक के नीचे एक बड़ा जमीन घोटाला उजागर हुआ है।
राजधानी में जमीन धोखाधड़ी का एक बड़ा मामला सामने आया है।जहां भूमाफियाओ ने एक कारोबारी को मृत बताकर उसका डेथ सार्टिफिकेट और फर्जी वसीयतनामा बनाकर करोडो की जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार कर अपने नाम करके उसको बेच दिया।बताया जा रहा है कि बिहार के बक्सर निवासी कारोबारी सुभाष गोयल की पंडरी स्थित 4 हजार 438 वर्गफीट जमीन थी जिसको साल 2018 के बाद कोरोना काल के दौरान आरोपिया गंगा राय,कुंती नायक और प्रवीण कुमार साहु ने अपने अन्य साथियो के साथ मिलकर कारोबारी को मृत बताकर उनका एक फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र और फर्जी वसीयतनामा तैयार कर रायपुर जेएमएफसी कोर्ट को गुमराह कर अपने आप को जिंदा कारोबारी को मृत और स्वयं को रिश्तेदार बताया और जमीन नामातरंण का आदेश पारित करवा लिया
जिसके आधार पर रायपुर तहसील ऑफिस में भी बिना दस्तावेजों की जांच किये आरोपियों के नाम जमीन नामतंरित कर दी और शातिर भूमाफिया ने उस जमीन की रजिस्ट्री गंगा राय के नाम करवा ली। इस बात का खुलासा तब हुआ जब कारोबारी कोरोना काल खत्म होने के बाद अप्रैल - 22 में रायपुर आकर अपनी जमीन का प्रापर्टी टैक्स भरने तहसील कार्यालय पहुंचे तो उनकी जमीन किसी खान के नाम देखकर उनके नीचे से जमीन खिसक गई।
कारोबारी ने इसकी लिखित शिकायत रायपुर एसएसपी को दी तो सिविल लाइन थाना पुलिस ने इस शिकायत की जांच की तो पुलिस के भी होश इस बात से उड़ गये कि शातिर आरोपियों ने बड़े ही शातिराना ढ़ंग से जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार कर अपने नाम कराया और उसको बेच दिया। जिसके बाद सिविल लाइन थाने में गंगा राय, कुंती नायक और प्रवीण कुमार साहू समेत कई अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी, सरकारी दस्तावेजों में कुटरचना समेत 120क्च की धाराओं में एफआईआर दर्ज कर आरोपियों की तलाश में जुटी है। इस जमीन घोटाले में गौरतलब बात ये है कि राजधानी में इतनी लंबी प्रक्रिया बहुत ही कम समय में हो जाना भूमाफिया की सरकारी सिस्टम पर पकड़ और कुछ भी करा लेने की ओर इशारे के साथ कई सवाल खड़े करता है।फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर फरार आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है।
एफआईआर के बाद कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश
इस जमीन घोटाले की रायपुर कलेक्टर सर्वेश्वर भूरे ने जांच के आदेश दे दिए हैं। कलेक्टर ने इस जांच में जो भी राजस्व विभाग के कर्मचारी/अधिकारी की मिलीभगत सामने आने पर कड़ी कार्रवाई करने के भी निर्देश हैं। इसका खुलासा सबसे पहले ‘छत्तीसगढ़’ ने किया।