गरियाबंद

श्रीराजीव लोचन के प्राकट्य उत्सव, भक्तों ने किया दिव्यरूप में दर्शन
06-Feb-2023 3:13 PM
श्रीराजीव लोचन के प्राकट्य उत्सव, भक्तों ने किया दिव्यरूप में दर्शन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम, 6 फरवरी।
छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध तीर्थ नगरी राजिम में माघी पुन्नी मेला के प्रथम दिन भगवान श्री राजीव लोचन के प्राकट्य उत्सव पर मंदिर परिसर को विशेष रूप से सजाया गया है। जिसकी भव्यता देखते ही बनती है। भगवान के दर्शन करने सुबह से भक्तों की भीड़ बनी हुई है। भगवान श्री राजीव लोचन का विशेष श्रंृगार किया गया है।

जिसका दर्शन पाने के लिए दूर-दराज से दर्शनार्थी सुबह से पंक्ति लगा कर खड़े थे और अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे कि हमें भी भगवान के आलौकिक रूप का दर्शन हो। मंदिर के सर्वाकार चन्द्रभान सिंह ठाकुर (राजू ठाकुर), शिव ठाकुर, भारत सिंह, बैंकुठ ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि वैसे तो बारहों महीना ही भगवान का पूजन प्रात: स्नान ध्यान कर किया जाता है, लेकिन आज माघ पूर्णिमा के दिन ब्रम्हमुहूर्त में पुरोहितों के द्वारा मंत्रोच्चारण कर प्रात: 3.30 बजे दर्शनार्थियों के लिए पट खुल जाता है। इसी समय भगवान श्री राजीव लोचन की बालरूप में आरती की जाती है। महाभिषेक कर पीताम्बरी धारण कर स्वर्ण आभूषण से भगवान को सुसज्जित किया जाता है जिसमें सोने के कमर पट्टा, कण्ठमाला, कर्णफूल और बाजूबंद प्रमुख होते है।

श्री राजीव लोचन ही भगवान विष्णु के अवतार है जो चतुर्भुज रूप में है। श्रद्धालुओं को भगवान का चर्तुभुज रूप दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। दोपहर 12 बजे ध्वज पूजन किया जाता है फिर मुकूट के स्थान पर भगवान राजीव लोचन को पगडी पहनाया गया। उसके बाद बाल भोग के रूप में मावन, मिश्रि, मिठाई, अनर्षा, फल-फूल का भोग लगा। रात्रि 8 बजे दाल, चॉंवल, सब्जी का महाप्रसाद के रूप में भोग लगाया जाएगा। रात में दूध, अनर्षा, मिठाई का भोग चढ़ाया जाता है। मंदिर के पुजारी महेन्द्र सिंह, मनोज सिंह सनत ठाकुर, तुषार ठाकुर, नरेन्द्र सिंह, रमेश सिंह, संजय सिंह, विकास राजपूत, कन्हैया ठाकुर, पुरूषोत्तम, ओम सिंह, भोला, मोनू ठाकुर आदि प्रभु के सेवा कार्य में लगे हुए है।

राजीवलोचन को लगा नैवेद्य का भोग
मंदिर के पुजारियों ने बताया कि माघ पूर्णिमा के दिन के जगन्नाथ भगवान श्री राजीव लोचन का दर्शन करने राजिम पहुंचते है। इस दिन ओडिशा के मंदिर का पट बंद रहता है। ओडिशा और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक समानताएं देखी जाती है जिसका यह ताजा उदाहरण है। तीन घड़े पानी से भगवान का पंचामृत स्नान हुआ। दोपहर 1 बजे पताका पूजन किया गया। इसे फेटा बंधन भी कहा जाता है। राजीवलोचन को नैवेद्य तथा ऋतु फल भोग लगाया गया। पंडित संतोष शर्मा, विजय शर्मा, रूपेश तिवारी इत्यादि का मंत्रोचार पुरे मंदिर परिसर पर गुंज उठा।

30 किलो गुलाब की पंखुडी से महक उठा गर्भगृह
भगवान श्री राजीवलोचन का गर्भगृह गुलाब की पुंखुड़ी से महक उठा हैं। 30 किलो गुलाब फूल की पंखुड़ी को प्रतिमा के सामने बिछा दिया गया हैं, तो मंदिर के महामण्डप में साढ़े तीन क्विंटल गेंदा फूल से खंभे एवं दीवाल को आकर्षक ढंग से सजाया गया हैं मंदिर ट्रस्ट कमेटी के मैनेजर पुरूषोत्तम मिश्रा ने बताया कि यह फूल राजधानी रायपुर से मंगाया गया है। पहले पिछले चार-पांच सालो से लगातार महानगर कोलकाता से आयात करते थे और बाहर के ही कारीगर इन्हें सजाते थे किन्तु अब शहर के कारीगर की कलाकारी दिख रही है।

मंदिरो में रही अच्छी भीड़
इस बार माघ पूर्णिमा से ही श्रध्दलुओं की भीड़ देखने को मिली। श्री कुलेश्वर नाथ मंदिर में कतारबध्द होकर अपने बारी का इंतजार करते रहें। संगम में हर-हर गंगे, हर-हर महादेव, जय राजीव लोचन शब्द से जयकारा होती रहीं। नारियल धूप अगरबत्ती फूल आदि चढ़ाकर श्रध्दा सुमन अर्पित करते रहें। सन् 2023 का माघी पुन्नी मेला रविवार से शुरू हुआ है इस लिहाज से प्रथम दिन से ही भीड़ अच्छी रहीं।
 

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