महासमुन्द

खैरझिटी, कौंवाझर, मालीडीह के किसानों ने प्रशासन की निंदा की
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 6 फरवरी। करणीकृपा प्लाट लेकर हाइवे में पिछले एक साल से जारी सत्याग्रह को लेकर महासमुंद पुलिस ने किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अनिल दुबे को शांति भंग करने के धारा 151 के तहत गिरफ्तार कर मुचलके पर छोड़ दिया है। उनकी गिरफ्तारी को सत्याग्रही किसान काफी नाराज हैं उनका जिला प्रशासन पर आरोप है कि भय और आतंक फैलाकर किसानों का सत्याग्रह खत्म करने की कोशिश की जा रही है।
रविवार को अखन्ड सत्याग्रह में शामिल सत्याग्रहियों को राज्य आंदोलनकारी किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अनिल दुबे ने संबोधित करते हुए कहा कि जिला प्रशासन सारे कानून कायदा को ताक में रखकर करणी कृपा स्टील एवं पावर प्लान्ट के मालिक के इशारे पर सत्याग्रह स्थल का तंबू तोडने का काम आधी रात को चोरों की तरह करते हंै। आदिवासियों के आराध्य देव बूढादेव, भगवान महादेव के मंदिर को तोडक़र मूर्ति को गायब कराते हंै। इसके खिलाफ आदिवासी समाज और धरना सत्याग्रहियों के द्वारा रिपोर्ट करने पर अपराधियों के तरह केस दायर किया जाता है।
मालूम हो कि करणी कृपा स्टील प्लांट के खिलाफ खैरझिटी, कौंवाझर, मालीडीह के किसान विगत 22 फवरी 2022 से छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले अखण्ड सत्याग्रह पर हैं। आज इस अखंड सत्याग्रह का 346 वें दिन हैं और आज भी कुल 85 किसान,जवान और महिलाएं आंदोलन पर हैं। कल सत्याग्रही किसानों को संबोधित करते हुए प्रदेश नेता जीपी चन्द्राकर, छन्नूलाल साहू, उदय चन्द्राकर, अलखराम साहू, राधा बाई सिन्हा, डिगेश्वरी चन्द्राकर पूर्व सरपंच एवं कांति बाई साहू,किसान छन्नूलाल साहू, अशोक कश्यप, डेविड चंद्राकर, दशरथराम सिन्हा, हेमसागर पटेल, धर्मेन्द्र यादव ने किसान मोर्चा के प्रदेश नेता अध्यक्ष अनिल दुबे की गिरफ्तारी की निंदी की है।
सत्याग्रही किसानों का कहना है कि छन्नूलाल साहू ने कहा कि अनिल दुबे के नेतृत्व में विगत 12 माह से गांधीवादी तरीके से किसान धरना सत्याग्रह चलाकर शासन-प्रशासन को शांतिपूर्ण पहल करने वाले की मांग कर रहे हैं और तहसीलदार, एसडीएम, जिलाधीश ने उद्योगपति का पक्ष लेकर मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष को शांति भंग करने के आरोप में 151 के तहत गिरफ्तार किया तो घोर निंदनीय है।
किसानों ने कहा हैकि संविधान एवं प्रजातांत्रिक व्यवस्था में किए गए अधिकार से अखंड धरना सत्याग्रह करने से कोई भी सरकार जनता को वंचित नहीं कर सकती। आदिवासी समाज को संविधान में जीने का अधिकार दिया गया है।
उसे शासन बाधा पहुंचाती है तो समझा जाएगा कि शासन किसान एवं आदिवासी विरोधी है। जिला प्रशासन असंवैधानिक निर्माण कार्य को लीपापोती कर संवैधानिक और शांतिपूर्ण चल रहे अखन्ड धरना को असंवैधानिक कह रही है। यह शासन-प्रशासन की बड़ी भूल है।