दुर्ग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 7 फरवरी। श्रीमद्भागवत कथा करने आयी देवी चित्रलेखा ने पांचवें दिवस की कथा में श्री कृष्ण की बाल लीला, गोवर्धन पूजा एवं 56 भोग की कथा सुनाई। देवी ने कथा के माध्यम आए कहा कि भगवान को पाने के लिए अधिक ज्ञान की नहीं बल्कि दीनता और मधुरता की आवश्यकता है।
देवी ने कथा में छत्तीसगढ़ के मधुर स्वभाव के लोगों के कहा कि छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा। अगर देश की सेवा चाहते हो तो गौ माता की सेवा आवश्यक है आप घर में रहकर भी देश की सेवा कर सकते हैं गौ माता की सेवा करके नैतिकताओं का पालन कर के। सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस में देवी चित्रलेखा ने बताया कि बीते 4 दिन की कथा श्रवण करने की थी, जिसे धारण करना था। परंतु अब 3 दिन की कथा को महसूस करना है देखना है और भाव क साथ मिल कर भगवान् की लीलाओं में शामिल होना है। देवी ने सर्व प्रथम बताया की कैसे भगवान का दर्शन करने सारी सृष्टि नन्दभवन की ओर प्रस्थान करने लगी। पूरे पंडाल में नन्द घर आनंद भयों से गूंज उठा। फिर भगवान की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए बताया के बिना भाव के भक्ति संभव नहीं। भाव होने से भगवान खुद भक्त को समर्पित हो जाते है। जीव को भगवान के साथ किसी किसी रिश्ते से जुडऩा पड़ता है।
पश्चात भगवान की 7 वर्ष की उम्र में की गयी गोवर्धन लीला का श्रवण कराया की कैसे भगवान ने इंद्रदेव का घमंड चूर किया और इष्ट श्रद्धा का पाठ वृजवाषियों को पढाया। भगवान ने गिरिराज पर्वत उठा कर इंद्र द्वारा की गयी मूशलधार बारिश से वृजवासियों को शरण दी।
आयोजक परिवार के प्रतीक अग्रवाल ने बताया कि कथा के मध्य गाये गए भजनों पर भक्तों ने झूम-झूम कर नृत्य किया और मनोहर झांकियों द्वारा कथा का दर्शन पान कराया गया। आयोजक परिवार द्वारा आकर्षित गोवर्धन पर्वत सजाया गया, जो कि पूरे कथा स्थल में आकर्षण का केंद्र रहा, सभी धर्मप्रेमी अपने हाथों में जल लेकर गोवर्धन पर्वत पर चढ़ाए, गोवर्धन पूजा के पश्चात 56 भोग प्रसादी का आयोजन रखा गया और सभी धर्मप्रेमियों को 56 भोग का प्रसाद वितरण किया गया।