गरियाबंद

गांव से डेढ़ किमी दूर झरिया से गड्ढा खोदकर पानी निकालते थे
28-Feb-2023 3:07 PM
गांव से डेढ़ किमी दूर झरिया से गड्ढा खोदकर पानी निकालते थे

जल जीवन मिशन से कमार बस्ती तक पहुंच रहा शुद्ध पानी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 28 फरवरी।
गाँव से डेढ़ किमी दूर झरिया से गड्ढा खोदकर पानी निकाला करते थे एवं उसे छानकर पीने के लिये उपयोग करते थे और इसे ही वे लोग अपना दिनचर्या एवं इसी व्यवस्था के साथ जीना स्वीकार कर चुके थे, जल जीवन मिशन से सोलर आधारित नलजल प्रदाय योजना से हर घर नल प्राप्त होने पर इस आश्रित ग्राम के पुरूष, महिलाएं एवं बच्चों में एक नया आनंद व उत्साह का संचार हुआ है।

ज्ञात हो कि  जिले के दूरस्थ क्षेत्र व मैनपुर से 20 किलोमीटर पूर्व की ओर ओडिशा की सीमा पर स्थित ग्राम पंचायत कुल्हाड़ीघाट के आश्रित ग्राम देवडोंगर में भारत सरकार द्वारा विशेष पिछड़ी जनजाति का दर्जा रखने वाली कमार जनजाति निवास करती है।
इस जनजाति के लोगों के घर घासफूस या खपरैल से बने होते है। कमार जनजाति के मुख्य भोजन चावल या कोदो की पेज, भात, बासी के साथ, कुल्थी, बेलिया, मूंग, उड़द, तुवर की दाल तथा मौसमी सब्जियां जंगली साग भाजी आदि होता है। मुख्य कृषि उपज कोदो, धान, उड़द, मूंग, बेलिया, कुल्थी आदि है। कुछ कमार लोग जंगल से शहद एवं जड़ी-बूटी भी एकत्रित कर बेचते भी हंै।

इस आश्रित ग्राम देवडोंगर में निवास करने वाले कमार जाति के लोगों को जल जीवन मिशन के द्वारा आये परिवर्तन को बयान करते हुए नंदनी बाई, लक्ष्मी बाई, मान बाई, कमला बाई और सुन्दर ने बताया कि पहले ग्राम से  1.5 कि.मी. दूर झरिया से गड्ढ़ा खोदकर पानी निकाला करते थे एवं उसे छानकर पीने के लिये उपयोग करते थे और इसे ही वे लोग अपना दिनचर्या एवं इसी व्यवस्था के साथ जीना स्वीकार कर चुके थे, जल जीवन मिशन से सोलर आधारित नलजल प्रदाय योजना से हर घर नल प्राप्त होने पर इस आश्रित ग्राम के पुरूष, महिलाएं एवं बच्चों में एक नया आनंद व उत्साह उत्पन्न हुआ है। साथ ही अब घर में नल लग जाने के कारण लोग अपने कामों में पूरी तरह ध्यान दे पाते हैं।

हर घर में लोगों को चार से पांच बार अलग-अलग झरिया से पानी लाना पड़ता था अब नल लगने के पश्चात खाना बनाने बर्तन साफ करने एवं पीने के पानी के लिये किसी भी प्रकार की तकलीफ नहीं होती है। घर में पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध रहता है साथ ही अब लोगों के स्वास्थ्य में भी सुधार आया है।

महिलाएं बचत पानी का उपयोग करते हुए साग भाजी का उत्पादन भी स्वयं के उपयोग के लिए कर पा रहे है, इससे महिलाओं का उत्साह बढ़ा है। यहां पर समय-समय पानी की गुणवत्ता की जाँच होती रहती है।
गर्मी के समय पानी को लेकर जिन समस्या का सामना करना पड़ता था, झरिया के पानी का स्तर नीचे चला जाता था जिससे कि पीने के पानी के लिये परेशान हो जाते थे, जल जीवन मिशन से प्राप्त हर घर नल लगने से गांव के लोगों को साल भर शु़द्ध पेयजल उपलब्ध हो रहा है एवं उन्हें पेयजल समस्याओं से निजात मिली है।
 

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