गरियाबंद

उदंती अभ्यारण में पक्षी सर्वेक्षण: 152 प्रजाति की पक्षियां दिखीं, जिनमें दुर्लभ प्रजाति के 20
04-Mar-2023 2:18 PM
उदंती अभ्यारण में पक्षी सर्वेक्षण: 152 प्रजाति की पक्षियां दिखीं, जिनमें दुर्लभ प्रजाति के 20

मोहन कुशवाहा

मैनपुर, 4 मार्च (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। उदंती अभ्यारण्य के 17 फरवरी से 19 फरवरी तक 6 सदस्यीय टीम द्वारा पक्षी सर्वेक्षण कार्य किया गया, जिसमें कुल 152 प्रजाति के पक्षी दर्ज किए गए।
 इसमें 20 दुर्लभ प्रजाति के पक्षियां भी पाये जाते हैं, जिसमें शाहिन बाज, मलकोहा प्रजाति, मालाबार, क्रेस्टेड ट्रीविफ्ट, भारतीय उल्लू, भुरी उल्लू, रूफस बेलीड ईगल, अल्ट्रामरीन फ्लाईकैचर, ग्रे ब्रेस्टेड प्रिनिया, सफेद पेट वाला कटफोड़वा मुख्य है, रूफस ट्रीपी हरी मधुमक्खी खाने वाला ये अभी गुजरात के गिर नेशनल पार्क में छोड़े गए हैं, क्योंकि यह विलुप्त हो रहे हैं और उदंती अभ्यारण्य में भारी संख्या में पाए गए हंै। ये केवल पश्चिम घाट, महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक में पाए जाते हैं।

उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के उपनिदेशक वरूण जैन ने बताया कि उदंती अभ्यारण्य में क्षेत्र निर्देशक प्रणिता पाल की पहल से 6 सदस्यीय टीम द्वारा पक्षी सर्वेक्षण कार्य किया गया। इस टीम में अचानकमार टाईगर रिजर्व रिसर्च एसोसिएट अभिजीत शर्मा, लैंडस्केप फोटोग्राफर आकाश वीर सिंह, रितेश श्रीवास, हर्षवर्धन सिंह, युवराज सिंह, शुभम कुमार शामिल थे और टीम के द्वारा सैकड़ों पक्षियों का तस्वीर कैमरे में कैद किया गया।

मालाबार पाईड हार्नबिल- ये पश्चिमी घाट में पाए जाते हैं और पर्यटक इन्हें देखने बड़ी दूर दूर से आते हैं ...लेकिन आमामोरा , ओंड़ की पहाडिय़ों में पश्चिमी घाट जैसा रहवास है जिससे ये पक्षी यहाँ हजारों की संख्या में प्राकृतिक रूप से निवासरत है। जल्दी ही स्थानीय युवकों को पक्षी मितान के रूप में रोजगार दिया जायेगा, ताकि पर्यटकों को पक्षियों के बारे में बताये और सफारी करवाए।

रूफस बेलीड ईगल- ये एक मांसभक्षी पक्षी है। ये छोटी चिडिय़ों का भी शिकार करता है।
 ग्रे - हार्नबिल - यह सोंढूर बाँध, सीतानदी क्षेत्र, देवधारा में हजारों की संख्या में है ...प्राकृतिक रूप से रहवास कर रहे है। इन पक्षियों को अभी हाल ही में गिर राष्ट्रीय उद्यान में 20 की मात्रा में छोड़ा गया था,  क्योंकि वह विलुप्त के कगार पे है ...इस पक्षी को इकोलॉजिकल इंडिकेटर की श्रेणी में रखा गया है। मतलब जिस वन क्षेत्र में यह पक्षी पाया जाता है उससे यह अंदाजा लगा सकते है कि उस वन क्षेत्र का स्वास्थ्य बढिय़ा है।

मालाबार पाईड हार्नबिल का झुण्ड- समूह आइबिस क्रेस्टेड ट्री स्विफ्ट अमूर फाल्कोन- ये 250 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ता है और साइबेरिया से दक्षिण अफ्रीका जाता है (ये कुल्हाड़ी घाट की पहाडियों में कैमरा में कैद हुआ)
रूफस ट्री पाई- ये पक्षी बाघ - मगरमच्छ के दांत में से फंसे मांस के टुकड़े खाती हैं।

ग्रेटर रैकेट टेल्ड ड्रोंगो - ये पक्षी किसी भी बड़े पक्षी की आवाज निकाल लेती है, जिससे कई बड़े पक्षी भी इससे डर जाते है, इसीलिए छोटे पक्षी अपना घोंसला इस पक्षी के रहवास स्थल के समीप बनाते हैं।
ये पक्षी केवल कोटर में ही रहते है ...मादा और नवजात बच्चे कोटर में मिट्टी से ढक कर एक दीवार बना लेते है ..केवल एक सुराख छोड़ते है ताकि नर पक्षी बच्चों और मादा को खाना खिला सके अपनी चोंच  से।

ये पक्षी छोटे चिडिय़ा को खाता है लेकिन जब सर्बिआ में बर्फ जम जाती है तो छोटे पक्षी पलायन कर जाते है ...उनके पीछे पीछे ये भी आ जाते है शिकार करने इसीलिए इन्हें रैप्टर भी कहा जाता है। जब बच्चे उडऩे योग्य हो जाते हैं तो मादा अपनी चोंच से दिवार तोडक़र बाहर निकल जाती है।

गरियाबंद जिले के उदंती अभ्यारण्य राजकीय पशु वनभैसा के लिए पूरे प्रदेश व देश में विख्यात है। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत 1983 में इसकी स्थापना की गई थी। यह लगभग 232 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला है। उदंती अभ्यारण्य में अनेक प्रकार के वन्य जीव पाए जाते हैं, और धमतरी जिले के सीतानदी अभ्यारण्य एंव गरियाबंद जिले के उदंती अभ्यारण्य को एक साथ मिलाकर 2009 में उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व क्षेत्र घोषित किया गया है। उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व क्षेत्र 1842.52 वर्ग किमी वन क्षेत्र में फैला हुआ है।
 


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