बेमेतरा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 6 मार्च। सडक़ किनारे लगे पौधों और फसल कटने के बाद खेतों में लगे वृक्षों की कटाई बेधडक़ जारी है। जंगल विहीन जिले में पेड़ों को बचाने के बाजाए नुकसान पहुंचाने का काम चल रहा है, जिसपर प्रशासन का ध्यान ही नहीं है। इससे जिले में पेड़ों की संख्या लगातार कम हो रही है।
अब जिले में लकड़ी माफिया एक्टिव हो गए हैं। मौका मुआयना कर किसान से मिलकर पेड़ काटने के लिए मोटी रकम देकर ये कारनामा अंजाम दिया जा रहा है। ग्रामीण अंचल में हरे भरे पेड़ों कि कटाई धड़ल्ले से जारी है। सडक़ किनारे लगाए गए पेड़ों को काटकर लकड़ी माफिया अवैध ईट भ_ों एवं आरा मिलों में खफा रहे हैं। जिम्मेदार राजस्व विभाग और वन विभाग इन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा, जिससे माफिया निश्चिंत होकर अपनी करतूत को अंजाम दे रहे। क्षेत्र में बे रोकटोक लकड़ी कटाई कर अवैध परिवहन कि जा रहा है। जिले के दो वन क्षेत्र बेमेतरा व साजा है, जिनमें अलग अलग मापदण्ड रख कार्रवाई कि जा रही है।
सर्वे के आंकड़े चौकाएंगें
पर्यावरण मामलों के जानकार एनके पाड़े के अनुसार जिले में पेड़ पौधों की सधनता व संख्या का सर्वे अभी की जरूरत है। पूर्व में हुए टोफोग्राफिकल स्तर के सर्वे के साथ अभी के आंकड़े चौकाने वाले होंगे। आमतौर पर जिले की हरियाली कम होते जा रही है। ऐसे में पेड़ों को नुकसान पहुंचाने वालों का मकसद क्षेत्र को कांक्रीट का जंगल बनाने का दिख रहा है। जिला प्रशासन के पास ऐसा कोई अभियान नहीं है, जिसमें पेड़ों को बचाने का प्रयास किया जाए।
होली जलाने न काटे पेड़
सहयोग सस्था ने लोगों ने अपील की है कि त्योहार की आड़ ने निर्दोश पेड़ों की बली नहीं चढ़ानी चाहिए। होलिका जलाने की स्थिति में सूखी घास या झाडिय़ों का उपयोग करें ताकि पर्यावरण को भी कम नुकसान हो। युथ अवेयर के रमन काबरा, रामा मोटवानी, राजकुमार साहू व डॉ. लाला राम साहू ने लोगों को होलिका दहन पर पेड़ बचाने का संकल्प लेने की बात कही।
वन विभाग का अनोखा तर्क
वन विभाग इस पूरे मामले में चुप्पी साधकर बैठा हुआ है। पूछने पर जानकारी नहीं होने की बात कही। वन विभाग के अफसरों की इस मामले में मिलिभगत की आशंका भी है।
रेंजर वी एन दुबे ने बताया कि अनुमति लेकर पेड़ काटने वालों पर कार्रवाई नहीं किया जा सकता। नियम के विरुद्ध पेंड़ काटने वालों पर सख्ती जारी है। बबूल के पेड़ समेत कुछ पेड़ वन विभाग के संरक्षण श्रेणी में नहीं आते हैं। जिनके चलते बबूल वृक्षों की कटाई एवं उनके परिवहन पर कार्रवाई नहीं होती। हालांकि उनका कथन सिर्फ बबूल तक है, जबकि अवैध कटाई सभी तरह के हरे-भरे पड़ों की हो रही है। नदी व नाले किनारे स्थित अवैध ईंट भ_ों का कारोबार बेखौफ चल रहा है। लकड़ी माफिया इन्हें अवैध तरीके से लकड़ी भी पहुंचा रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार विभाग इससे पूरे मामले को नजरअंदाज कर रहे हैं। इनके अलावा आरा मिलों में भी कच्ची लकडिय़ों की खेप पहुंचाई जा रही है।