कोरिया

नेत्र समेत अन्य विभागों में मशीनों और चिकित्सा उपकरण की खरीदी को लेकर भी सवाल उठ रहे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 13 मार्च। कोरिया जिले का मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर सुर्खियों में है, इस बार सीजीएमएससी से बिना एनओसी 70 लाख से ज्यादा की दवाएं एक ही सप्लायर से खरीदी को लेकर चर्चा गरम है, वहीं नेत्र विभाग के साथ अन्य विभागों में मशीनों और चिकित्सा उपकरण की खरीदी को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। दूसरी ओर तत्कालीन सीएमएचओ के समय हुई खरीदी को लेकर जांच जारी है।
वहीं इस संबंध में सीएमएचओ डॉ. आरएस सेेंगर का कहना है कि शासन के आदेश के तहत और डिमांड के अनुसार दवाओं की खरीदी की गई है। उन्होंने माना कि 70 लाख की दवाईयों की खरीदी की गई है। उन्होंने कहा कि नेत्र विभाग में आंखों के लैंस को लेकर भी आर्डर दिए गए हैं।
सीएमएचओ से बिना फार्मासिस्ट के दवाओं की खरीदी और बिना सीजीएमएससी की एनओसी के खरीदी पर सवाल किया गया तो उनका कहना था कि फार्मासिस्ट के जरिये दवाओं की खरीदी की जा रही है, जबकि एनओसी पर उन्होंने कुछ नहीं कहा।
कोरिया जिले के बैकुंठपुर के कंचनपुर स्थित सीएमएचओ कार्यालय को निर्माण के बाद पहली बार सजाया संवारा जा रहा है, कारण यह है कि सरगुजा कमिश्नर संजय अलंग 15 मार्च को सीएमएचओ कार्यालय का निरीक्षण करेंगे।
कमिश्नर के दौरे के पूर्व बकायदा स्वास्थ्य विभाग के जेडी और उनकी टीम से सीएमएचओ कार्यालय का दौरा किया और अफसरों के साथ कर्मचारियों को कैसे क्या करना है, इसकी हिदायत दे दी। दौरे को लेकर कार्यालय को चकाचक किया जा रहा है, कार्यालय के चारों और फैली शराब की बोतलों को हटाया गया है।
दूसरी ओर विभाग में बड़े पैमाने पर दवाओं की खरीदी जनवरी 2023 में की गई, लगभग 70 लाख से ज्यादा कीमत पर की गई खरीदी में नियमों को दरकिनार किया गया, इसके अलावा लगातार चिकित्सा उपकरणों की खरीदी भी की जा रही है।
दरअसल, जीवन रक्षक दवाओं की खरीदी के लिए जिन दवाओं की खरीदी करनी होती है, उससे पूर्व सीजीएमएससी से उन दवाओं की एनओसी लेना होता है, यदि डिमांड की गई दवाएं सीजीएमएससी के पास होती है तो उन्हें अन्यत्र बाहर से क्रय नहीं किया जाना होता है। इसके अलावा एनएचएम के तहत दवाओं की खरीदी बिना फार्मासिस्ट के कर ली जा रही है, ऐसा वर्षों से जारी है।
बिल पूरा और दवाओं की सप्लाई कम
बताया जाता है कि सीएमएचओ विभाग की दवाओं के साथ खरीदी का खेल है, खरीदी इतनी गुप्त तरीके से होती है कि विभाग के ज्यादा लोगों को इसकी हवा तक नहीं लग पाती है। यहां दवाओं की खरीदी और उसके वितरण में हुई गड़बड़ी की जांच जारी है।
सूत्र बताते हैं कि दवाओं की खरीदी में होता यह है कि दवाएं की सप्लाई बिल में पूरी होती है, जबकि भौतिक रूप से दवाएं कम आती है, इसके लिए वितरण को लेकर भी कई तरह के एडजेस्टमेंट कर जैसे तैसे कोरम पूरा कर लिया जाता है।
मरीज दो दर्जन और खरीदी 500 की
सीएमएचओ कार्यालय में दवाओं की खरीदी में बड़ा बंदरबांट है। सूत्र बताते हंै कि बीते लंबे समय से खरीदी की आड़ में जमकर भ्रष्टाचार जारी है, मानसिक रोगी की बीमारी के लिए कोरिया जिले में न तो कोई चिकित्सक है और न ही यहां इतने मरीज है। बमुश्किल रिकार्ड में दो दर्जन से ज्यादा मरीज होंगे, इस बीमारी की दवाईयां काफी महंगी रहती है, जिसके कारण ज्यादा मरीज दिखाकर लाखों की दवाओं की खरीदी कर ली गई। अब दवाएं एक्सपायर हो रही है, और तो और जितने का आर्डर होता है, दवाएं उतनी भौतिक रूप से नहीं पहुंचती है, बिल का भुगतान पूरा हो जाता है। दूसरी ओर दवाओं की खरीदी मामले में जांच जारी है।