रायगढ़

गांव में न बिजली न सडक़, अंधेरे में रहने को मजबूर ग्रामवासी
खुद से लकड़ी से बनाये पुल से करते हैं आना जाना
अपनी समस्या लेकर कलेक्ट्रोरेट पहुंचे ग्रामीण
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 14 मार्च। देश की आजादी के बाद सरकार ने देश के कोने-कोने तक बिजली पहुंचा दी है, लेकिन रायगढ़ जिले के अंतिम छोर का आज भी एक गांव ऐसा है, जहां के ग्रामीण अंधेरे में रहने को मजबूर हैं, क्योंकि वहां अभी तक बिजली नहीं पहुंच पाई है। जिले के धरमजयगढ़ तहसील के ग्राम पंचायत सिसरिंगा के आश्रित ग्राम कुकरीखोर्रो मोहल्ला चांपखेत में आज तक बिजली नहीं पहुंची यहां के ग्रामीण आज भी मोमबत्ती और दिया जलाकर रात काटने को मजबूर है। साथ ही साथ यहां सडक़ तक भी नहीं है। इस गांव के लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। इन ग्रामीणों ने आज जिला मुख्यालय पहुंचकर जिलाधीश से इस मामले की शिकायत की है।
सोमवार को कुकरीखोर्रो गांव के एक दर्जन से अधिक ग्रामीण अपनी समस्याओं को लेकर जिला मुख्यालय पहुंचे और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में ग्रामीणों ने कहा है कि कुकरीखोर्रो मोहल्ला चांपखेत में 80 से 90 परिवार विगत लगभग 65 वर्षों से निवासरत हैं। जिनकी जनसंख्या लगभग 500 है। गांव में एक प्राथमिक शाला भी है। यह गांव जंगल, पहाड़, नदी, नाला के बीच बसा है। यहां पुल और सडक़ नहीं होने पर ग्रामीण खुद ही लकडिय़ों से पुल बनाये हैं और उसी से आना जाना करते हैं।
गर्भवती महिलाओं को भी होती है भारी परेशानी
बरसात के दिनों में आने जाने में इन्हें बहुत ही ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है। साथ ही नदी नाला होने के कारण बीमार और गर्भवती महिलाओं को प्रसव कराने हेतु अस्पताल ले जाने में काफी परेशनी होती है। कई बार उचित सुविधा नहीं होने के कारण गर्भवती महिलाओं की मौत भी हो चुकी है। रोड नहीं होने के कारण यहां 108 या 112 वाहन भी नहीं पहुंच पाता है।
बिजली खम्भा लगा, पर अब तक नहीं पहुंची लाईट ग्रामीणों ने बताया कि गांव में 2015 में बिजली का खम्भा लग चुका है लेकिन आज तक उसमें बिजली तार नहीं लग पाया है। पूरा देश आजादी के अमृत महोत्सव मना रहा है और हम लोग विकास से पूरी तरह वंचित है। ग्रामीणों ने कलेक्टर से निवेदन किया है कि हम गरीब आदिवासियों की समस्याओं को ध्यान में रखकर सडक़, पुलिया निर्माण कराने एवं बिजली कनेक्शन दिलवाने की मांग की है।