कवर्धा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कवर्धा, 17 मार्च। कलेक्टर जनमेजय महोबे ने कलेक्टोरेट सभाकक्ष में छात्रावास, आश्रम के अधीक्षकों की बैठक लेकर आश्रम, छात्रावास का संचालन जिम्मेदारी पूर्वक करने के सख्त निर्देश दिए। कलेक्टर श्री महोबे ने कहा कि छात्रावास, आश्रम के प्रत्येक बच्चों की जिम्मेदारी अधीक्षकों की है। सभी बच्चों को अपना मानकर आश्रम, छात्रावास का संचालन करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आश्रम, छात्रावास के संचालन में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। कलेक्टर ने कहा कि अधीक्षकों से सीधा संपर्क कर स्वयं वहां की व्यवस्थाओं की जानकारी लेंगे और औचक निरीक्षण भी किया जाएगा। जिन आश्रम, छात्रावास में व्यवस्था सहीं नहीं पाई जाएगी उस पर कार्रवाई की जाएगी।
कलेक्टर श्री महोबे कहा कि अधीक्षकों को प्रत्येक बच्चों की व्यक्तिगत जानकारी होना चाहिए और यह तभी संभव है, जब बच्चों की काउंसलिंग स्वयं करेंगे। इसके लिए बच्चों से बाते करें और उनकी समस्याओं को जानकर उसे दूर करने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि आश्रम, छात्रावास में दैनिक कार्य चार्ट का पालन सुनिश्चित होना चाहिए। बच्चों के सुबह उठने से लेकर उनके नाश्ता, भोजन, गणवेश, पढ़ाई सहित सभी चीजें नियमित रूप से व्यवस्थित होने चाहिए। आश्रम, छात्रावास में दवाई की कमी नही होना चाहिए।
उन्होंने स्वच्छता पर विशेष ध्यान देते हुए बच्चों को इसके प्रति जागरूक करते हुए नियमित हाथ धुलाई अभियान चलाने के निर्देश दिए। इसके साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने कहा। उन्होंने कहा कि सभी अधीक्षकों को पाक्सो एक्ट सहित आश्रम, छात्रावास के नियमों की पूरी जानकारी होना चाहिए।
उन्होंने गंभीरतापूर्वक शासन के निर्देशानुसार आश्रम, छात्रावास संचालन करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने सभी आश्रम, छात्रावास में कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, एसडीएम, एसी ट्रायबल सहित संबंधित थाने का संपर्क नंबर चस्पा करने के निर्देश दिए।
कलेक्टर श्री महोबे ने कहा कि शासन द्वारा वनांचल क्षेत्र के बच्चों को अच्छी शिक्षा और व्यवस्था मिल सके इसके लिए आश्रम, छात्रावास की व्यवस्था की गई है। जहां बच्चों का शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास बेहतर ढंग से हो सके।
साथ ही अच्छा वातावरण और सुरक्षा मिले। उन्होंने कहा कि आश्रम, छात्रावास में कुछ दिगभ्रमिक बच्चें भी होते है। ऐसे बच्चों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है उन बच्चों से बता कर सकारात्मक वातावरण तैयार करें।
उन्होंने कहा कि आश्रम, छात्रावास अधीक्षकों पर बच्चों का पूर्ण विश्वास होना चाहिए जिससे बच्चे अपनी समस्या और परेशानियों को साझा कर सके। उन्होंने कहा कि आश्रम, छात्रावास में नियमानुसार किसी भी बच्चे के पास मोबाईल नहीं होना चाहिए, इसकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी आश्रम, छात्रावास अधीक्षक की है। अवश्यकता पडऩे पर आश्रम, छात्रावास अधीक्षक के मोबाईल से बच्चे अपने अभिभावक से बात कर सकते है। कलेक्टर ने छात्रावास में दैनिक कार्य चार्ट का कड़ाई से पालन करने और छात्रावास में आने-जाने वाले पालकों व बच्चों का रजिस्टर मेंनटेन करने के निर्देश दिए।
कलेक्टर ने सभी आश्रम, छात्रावास में बाल संरक्षण के संबंध में कार्यशाला कराने के निर्देश दिए। जिसमें बच्चे सहित उनके पालक भी शामिल रहे। उन्होंने कहा कि बच्चों को दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली चींजे और स्वच्छता के लिए आश्रम, छात्रावास में विशेष अभियान चलाने की जरूरत है जिससे बच्चे स्वच्छता के प्रति जागरूक होंगे इसके साथ ही बच्चों को खाने-पहनने के तरीकों को विशेष रूप से सीखाने की जरूरत है और यह तभी संभव है जब बच्चे स्वयं जुड़ेंगे।
कलेक्टर श्री महोबे ने कहा कि प्रत्येक विकासखंड के दो आश्रम, छात्रावास को मॉडल आदर्श छात्रावास के रूप में विकसित करें। उन्होंने कहा कि आश्रम, छात्रावास में लायब्रेरी की व्यवस्था करें। इसके लिए प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए। आश्रम, छात्रावास में बच्चों के पढ़ाई के लिए विशेष कोचिंग की व्यवस्था करें। इसके लिए कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आश्रम, छात्रावास में कोई समस्या आती है उसे तत्काल अवगत कराएं। कलेक्टर श्री महोबे ने कहा कि जिन आश्रम, छात्रावास में मरम्मत कराने की जरूरत है इसके लिए प्रस्ताव भेंजे। यह आश्रम, छात्रावास अधीक्षकों की जिम्मेदारी है। बैठक में संयुक्त कलेक्टर एवं आदिम जाति विकास विभाग के सहायक आयुक्त डॉ. मोनिका कौड़ो सहित समस्त छात्रावास, आश्रम के अधीक्षक उपस्थित थे।