बलौदा बाजार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भाटापारा, 18 मार्च। राज्य में पिछले चार सालों में कृषि एवं संबद्ध कार्यकलाप के साथ ग्रामीण विकास पर होने वाले व्यय अन्य राज्यों के औसत व्यय की तुलना में दोगुने से भी अधिक है। इसी तरह पिछले चार सालों में राज्य में शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर होने वाले कुल व्यय अन्य राज्यों के औसत की तुलना में अधिक है। बजट के माध्यम से किए जाने वाले ऐसे प्रयास राज्य की आय को वंचित लोगों की ओर मोड़ते हैं। यह सर्व समावेशी विकास के समन्वित प्रयासों को दर्शाता है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी सरकार का पांचवा बजट पेश किया। राज्य सरकार ने 4 साल पहले देश के सामने आर्थिक विकास मॉडल की जो नींव रखी थी, यह बजट उसी भरोसे को आगे बढ़ा रहा है। विभिन्न योजनाओं के जरिए एक बार फिर इसी दिशा में ठोस काम करने की कोशिश की गई है। यह बताता है कि यह बजट छत्तीसगढ़ के विकास का भरोसा है!
इस बजट का आकार 1 लाख 21 हजार 500 सौ करोड़ है। ग्रामीण अर्थव्यस्था के सर्व समावेशी विकास मॉडल के लिए नरवा, गुरुवा, घुरुवा, बाड़ी का जो रोडमैप 2019 के बजट में तैयार हुआ था, उससे कृषि क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए। अब जो योजनाएं व घोषणाएं की गई हैं, वह सरकार की जनकल्याण को लेकर दूरदर्शी सोच बताती हैं। यह बजट ग्राम केंद्रित नई अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए समावेशी छत्तीसगढ़ मॉडल के उद्देश्यों को पूरा करेगा। जन आकांक्षाओं को पूरा करेगा। इसीलिए यह बजट अधिक टिकाऊ है। आर्थिक और नीतिगत रूप में राज्य का यह बजट महत्वपूर्ण दस्तावेज साबित होगा। राज्य के आर्थिक विकास की गति को बढ़ाने के लिए कृषि, उद्योग और सेवा, तीनों ही क्षेत्र पर अधिक फोकस किया गया है। सरकार के इन्हीं प्रयासों की वजह से आज सभी राज्यों की औसत विकास गति से छत्तीसगढ़ के विकास की गति अधिक है।
विकास की इस गति को बनाए रखते हुए विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाएं बनाई गई हैं। ग्रामीण विकास के लिए किसानों की बढ़ती लागत को ध्यान में रखकर आदान सहायता राशि में वृद्धि, विभिन्न विभागों में काम कर रहे कार्यकर्ताओं के मानदेय में वृद्धि के साथ ही मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना की राशि दोगुनी की गई है। शिक्षा के क्षेत्र में 101 नए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलना और 4 जिलों में नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना भी प्रगतिशील काम है।
राज्य में पिछले चार सालों में कृषि एवं संबद्ध कार्यकलाप के साथ ग्रामीण विकास पर होने वाले व्यय अन्य राज्यों के औसत व्यय की तुलना में दोगुने से भी अधिक है। इसी तरह पिछले चार सालों में राज्य में शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर होने वाले कुल व्यय अन्य राज्यों के औसत की तुलना में अधिक है। बजट के माध्यम से किए जाने वाले ऐसे प्रयास राज्य की आय को वंचित लोगों की ओर मोड़ते हैं। यह सर्व समावेशी विकास के समन्वित प्रयासों को दर्शाता है!
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में गरीबों को बाजार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है। ऐसे में कल्याणकारी राज्य के दायित्व और अधिक हो जाते हैं, जो बढ़ती हुई असमानता के दुष्प्रभावों को कुछ हद तक कम कर सकते हैं। राज्य की योजनाओं के माध्यम से किए गए ऐसे कोई भी प्रयास जो वंचित वर्ग की आय बढ़ाते हैं, वे आर्थिक विकास के साथ सामाजिक विकास को भी मजबूत करेंगे। हमें यह समझना होगा कि शहरों की अधिकांश समस्याओं का कारण हमारे गांवों की अर्थव्यस्था का कमजोर होना है। जब गांव मजबूत होंगे तो शहर भी मजबूत होंगे। उम्मीद है कि इन योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचेगा।