रायगढ़

उकठा रोग प्रबंधन हेतु ग्राफ्टेड बैंगन का प्रदर्शन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 18 मार्च। निकरा परियोजना अंतर्गत गोद ग्राम जुनवानी में सोलेनेसी कुल के सभी फसलों जैसे टमाटर, बैगन आदि पौधों में वर्ष भर सडऩे-गलने एवं मरने आदि कि समस्या बनी रहती थी, जिससे किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान होता था फलस्वरूप इस भयंकर समस्या से परेशान होकर किसान बंधू बैंगन कि खेती छोडऩे लगे थे, जिसके निदान हेतु कृषि विज्ञान केंद्र रायगढ़ के निकरा परियोजना के प्रधान अन्वेषक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ बी एस राजपूत के मार्गदर्शन एवं विशेष प्रयास में केंद्र के वैज्ञानिकों जिसमें परियोजना के सह अन्वेषक व मृदा वैज्ञानिक के डी महंत , उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ बंजारा, पौध रोग वैज्ञानिक मनोज साहू ने किसानों के खेत में भ्रमण किया।
भ्रमण के दौरान गहन परिक्षण कर समस्या के निदान हेतु कड़ी मेहनत व प्रयास से पता लगाया गया कि सब्जी कि खेती के लिए विशेष पहचान बना चुकी जुनवानी ग्राम में रेतीली, लाल व बलुई मिटटी उपलब्ध है तथा बार- बार एवं वर्ष भर एक ही फसल लेने के कारण मृदा जनित उकठा रोग का काफी ज्यादा प्रकोप बढ़ जाता है स इस समस्या के प्रबन्धन हेतु केंद्र के वैज्ञानिको द्वारा उकठा रोग कि प्रतिरोधक ग्राफ्टेड बैंगन कि खेती पर विशेष प्रशिक्षण एवं जीवंत प्रदर्शन किया गया।
केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ राजपूत ने ग्राफ्टेड बैंगन की तकनीकी खेती व आवश्यक सावधानी के बारे में विस्तृत जानकारी दी, डॉ राजपूत ने बताया कि ग्राफ्टेड बैंगन सामान्य बैगन कि तुलना में अधिक उत्पादन क्षमता वान, के साथ साथ पौधा लम्बी जीवन अवधि का होता है , साथ ही यह सुखा एवं कीड़े-बिमारियों के विरुद्ध प्रतिरोधक होती है। केंद्र के मृदा वैज्ञानिक के डी महंत ने खेत कि तैयारी व उर्वरक प्रबन्धन के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।