रायपुर

रायपुर, 20 मार्च। आजाद हिंद फौज की भूमिका पर केन्द्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के निदेशक डॉ.ओमजी उपाध्याय ने कहा कि देश में इतिहास लेखन की आठ धाराएं साथ-साथ चल रही थी। जिसमें सुभाषचंद्र बोस की धारा भी शामिल थी।
उन्होंने कहा कि ब्रिटिश फौज के भारतीय सैनिकों पर अंग्रेजों को भरोसा नहीं था कि भारतीय सैनिक अंग्रेजों के निर्देश पर कार्य करेंगे। अंग्रेजों को ऐसी सूचना मिल रही थी कि ब्रिटिश भारतीय सैनिक आईएनए के मार्गदर्शन में कार्य कर सकते है। ऐसी स्थिति में अंग्रेजों की साम्राज्यवादी व्यवस्था ध्वस्त हो सकती है, इसलिए समय पूर्व 15 अगस्त 1947 को भारत को आजाद करने का निर्णय लिया। उन्होंने लुईफिशर के वाक्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि नेताजी देश भक्तों के देशभक्त थे और उनके होते हुए देश का विभाजन नहीं हो सकता। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता रविन्द्र भारती विश्वविद्यालय कोलकाता के इतिहास विभाग, विभागाध्यक्ष प्रो. एच. के. पटेल, कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. प्रवीण कुमार मिश्र ने भी अपने संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम के अध्यक्षता करते हुए पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. के.एल. वर्मा ने कहा कि देश भक्ति की भावना को जीवन्त बनाने और नई पीढ़ी को शोध के लिए नवीन दृष्टिकोण देने में यह आयोजन सफल होगा। उन्होंने श्रेष्ट भारत के निर्माण में युवाओं के योगदान को रेखांकित किया। तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी जिसमें कुल 63 शोध पत्रों का वाचन किया गया। उन्होंने कुटीर उद्योग व बृहत उद्योग के समन्वित विकास पर जोर दिया। इस सत्र में कुल 8 शोधपत्रों का वाचन शोधार्थियों के द्वारा किया गया।