कोरिया

ढोढ़ी, नदी और कुएं से पानी पीने मजबूर, इनमें कोरवा-पंडों संरक्षित जनजातियां ज्यादा
21-Mar-2023 3:11 PM
ढोढ़ी, नदी और कुएं से पानी पीने मजबूर, इनमें कोरवा-पंडों संरक्षित जनजातियां ज्यादा

  विश्व जल दिवस  

चंद्रकांत पारगीर

बैकुंठपुर (कोरिया), 21 मार्च (‘छत्तीसगढ़’)। कोरिया की तीन विधानसभाओं के एक-एक विकासखंड में पेयजल को लेकर ‘छत्तीसगढ़’ ने पड़ताल की, जिसमें आज भी लोग ढोढ़ी, नदी और कुआं से पानी पीने को मजबूर है, इनमें कोरवा, पंडों जैसे संरक्षित जनजातियां ज्यादा है, जिनकी सुध लेने में सबसे बड़ा बाधक सौर उर्जा विभाग के साथ पीएचई और ग्राम पंचायत की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है।

इस संबंध में पीएचई के कार्यपालन अभियंता का कहना है कि मुझे इसकी जानकारी है, कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में लोग नदी और ढोढ़ी का उपयोग कर रहे है, अभी हमारा काम प्रगति पर है, कुछ स्थानों पर सौर ऊर्जा के कारण पंप बंद है, उन्हेें दुरूस्त करने के लिए विभाग को बोला गया है। जल्द ही समस्याओं का निराकरण कर लिया जाएगा।

कोरिया जिले में वैसे तो जलजीवन मिशन, सौर ऊर्जा विभाग और ग्राम पंचायत के साथ मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल उपलब्ध कराने में जुटा है, अरबों को बजट से इसके लिए कार्य किए जा रहे है, परन्तु आज भी ग्रामीण नदी नाले से पानी पीकर गुजारा करने की तस्वीरें सामने आती रहती है।

'छत्तीसगढ़’ ने विश्व जल दिवस पर ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों को हाल जाना, बैकुंठपुर के ग्राम पंचायत सरईगहना के कोरवापारा में संरक्षित जनजाति कोरवा के लगभग 15 से 20 घर है, यहां के लोग उनके पास से गुजरने वाली गेज नदी से पानी लाकर अपना गुजर बसर करते है, इसके लिए वे अपने घर से नीचे पथरीले रास्ते से होकर नदी पहुंचते है और फिर उसकी रास्ते की बड़ी चढ़ाई चढक़र पानी लाते है। इनके पास राशन कार्ड है यहां पीएचई विभाग ने दो हैंडपंप भी खोदे गए, परन्तु पानी नहीं निकला, पानी को लेकर कोरवा महिलाओं में काफी नाराजगी देखी जा रही है, वहीं ग्राम पंचायत मुरमा के फरीकापानी में तीन कुएं है, यहां की 300 आबादी 2 कुएं पर निर्भर है, स्कूल के पास पीएचई विभाग ने जलजीवन मिशन के तहत टंकी भी लगाई है, परन्तु सौर उर्जा विभाग की लापरवाही के कारण बीते 5 माह से बंद है, वहीं स्कूल से कुछ दूरी पर स्थित कुएं में मध्यान्ह भोजन के समय कई दर्जन भर स्कूली छात्र-छात्राओं का जमघट हो जाता है, सभी इसी कुंए से ही पानी पीते है, ऐसे में ग्रामीणों को कुएं से किसी दुर्घटना का डर सताते रहता है।

मनेन्द्रगढ़ विधानसभा का खडग़वां तहसील
पीने के पानी के लिए सबसे ज्यादा जद्दोजहद ग्रामीणों को करनी पड़ रही है। खडगवां जनपद के ग्राम पटमा का गजईपारा और करौंदापारा में ढोढ़ी, ग्राम टेडमा के माझापारा में कुआं, खडग़वां के गढहीपारा में कुआं, छोटे कलुआ के बोदरहियापारा में ढोढ़ी, लोटाबेहराके साटपनपारा में कुआं, बचरा के किदागुडी में ढोढ़ी, बड़े साल्ही के चितामाडा करगी टीला और बडकापारा में कुआं, पडिता के उरांवपारा में कुआं, लकड़ापारा के सरगुड़ी में कुंआ, बरदर में बिशुनपुर में ढोढ़ी, ठग्गांव के डोमापारा ढोढ़ी, जिल्दा के पटेलपारा, कटोरीपारा में ढोढ़ी, मुगुम के कांसाबहरा, पिपरहिया में कुआं, जिलीबांध के पटेलपारा में कुआं, उधनापुर के नदियापारा में ढोढ़ी, फुनगा के सरईझरिया में ढोढ़ी, दूबछोला के बडक़ापारा, कुआं और ढोढ़ी, कोटया के पटेलपारा में कुआं, नेवरी के ठोकनापारा में कुआं और ढोढ़ी से ग्रामीण पानी पी रहे है।

भरतपुर सोनहत का सोनहत विकासखंड
भरतपुर सोनहत विधानसभा में बताया जाता रहा है कि यहा 13 सौ करोड़ के विकास कार्य किए गए है, परन्तु यहां के कई गांव के ग्रामीण आज भी तुर्रा, कुआं और ढोढ़ी से असुरक्षित पानी पीकर अपना जीवन यापन कर रहे है। इसमें रजौली के बिन्द्रापारा और पंडोपारा के ग्रामीण ढोढ़ी, रामगढ़ के तुर्रीपारा के ग्रामीण तुर्रा, भैंसवार के पहाड़पारा में ढोढ़ी, कुशहा के विरोरीडांड में ढोढ़ी, सिंघोर के चेरवापारा के ग्रामीण ढोढ़ी, अमृतपुर के सोमरिया, गोंडपारा के ग्रामीण तुर्रा, पोडी के झरियापारा और पोडीपारा के ग्रामीण तुर्रा, आन्नदपुर के गोयनी के मुखपारा के ग्रामीण तुर्रा, अकलासरई के स्कूलपारा के ग्रामीण भी तुर्रा से पीने का पानी पीने को मजबूर है।

बैकुंठपुर विधानसभा का  बैकुंठपुर तहसील
बैकुंठपुर विधानसभा में भी 3 से 4 ग्राम पंचायतों में पीने के पानी को लेकर ग्रामीणों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, इसमें ग्राम पंचायत मुरमा के फरिकापानी में कुआं और देवखोल में ढोढ़ी से पानी पीने को मजबूर है, वहीं पीपरडांड के दुहियापारा, लरकापारा और नावापारा के कुआं के साथ ग्राम पंचायत सरईगहना के कोरवापारा के ग्रामीण नदी और और पंडोपारा के ग्रामीण ढोढ़ी से पानी पीने को मजबूर है।
 

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