महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 21 मार्च। महासमुंद जिला मुख्यालय स्थित जनपद पंचायत में 39 लाख रुपए हेराफेरी के मामले में मुख्यमंत्री, राज्यपाल के अलावा मुख्य सचिव महानदी भवन नया रायपुर, कमिश्नर रायपुर, विभागीय मंत्री पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को शिकायत के बाद हफ्ते भर में जांच रिपोर्ट सौंपने कहा गया है। इसके लिए 7 सदस्यीय जांच टीम गठित की गई है। आदेश में कहा गया है कि 7 दिवस के अंदर जांच अधिकरी इस मामले में अपने अभिमत जमा करें। इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से 7 सदस्यीय टीम गठित कर जांच की जा रही है।
मालूम हो कि इस तरह यह मामला दिन-ब-दिन बड़ा होता जा रहा है। हर रोज इस पर एक नई जानकारी सामने आ रही है। इस वक्त यहां पूरे 39 लाख के मामले की खबर गर्म है और लोग कहते फिर रहे हैं कि जिला और पुलिस प्रशासन ने शिकायत के बाद मामले को संज्ञान में नहीं लिया और ठंडे बस्ते में डाल दिया था। यह मामला तत्कालीन विभागीय मंत्री टीएस सिंहदेव के महासमुंद दौरे के दौरान सामने आया था। आरोप है कि चूंकि आरोप जनपद अध्यक्ष पर है, इसलिए मंत्री सिंहदेव ने भी मामले में कोई संज्ञान नहीं लिया।
मामला कोरोना काल के समय का है। पूरे 39 लाख रुपए 15 वें वित्त आयोग की राशि केन्द्र सरकार ने जनपद पंचायत महासमुंद को दी थी। यह राशि पंचायत अधिनियम के तहत सभी ग्राम पंचायतों के खातों में ट्रांसफर करना था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उस पैसे को पंचायत अधिनियम के विरूद्ध तत्कालीन सीईओ समृद्धि शर्मा ने सीधा वेंडर के खाते में डाल दिया। वेंडर फर्म रायपुर राधे इंटर प्राइजेस ने उक्त राशि को निकाल भी लिया।
आरोप तो यह भी है कि वेंडर जनपद अध्यक्ष यतेंद्र साहू का कोई रिश्तेदार है। पहले जब इसकी शिकायत की गई थी। उस समय एकाएक 4 लोगों की जांच टीम गठित कर जिला पंचायत ने जांच आदेश भी जारी कर दिया था, लेकिन मामले में अब तक कार्रवाई नहीं हुई। लिहाजा अब फिर से इस मामले में शिकायत हुई तो जांच भी जारी है।