धमतरी

डॉक्टर बनने के बाद गरीब मरीजों की सेवा करना चाहते हैं शुभांशु
22-Mar-2023 3:24 PM
डॉक्टर बनने के बाद गरीब मरीजों की सेवा करना चाहते हैं शुभांशु

शंकरा मेडिकल कॉलेज एवं आरोग्यम हॉस्पिटल भिलाई में दे रहे हैं सेवाएं

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

धमतरी, 22 मार्च। धमतरी निवासी शुभांशु गुप्ता (गगन) ने डी.वाय.पाटिल मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर पुणे से एम.एस.आर्थोपेडिक्स की डिग्री हासिल कर न केवल अपने माता-पिता परिजनों का बल्कि धमतरी जिले का भी नाम रौशन किया है। बचपन से ही मेधावी छात्र रहे शुभांशुु ने यह साबित कर दिखाया है कि मां, पिता एवं छोटे भाई बहनों के सपनों को कैसे साकार किया जाता है।

डिग्री हासिल करने के बाद शुभांशु गुप्ता वर्तमान में विशेषज्ञ डॉक्टर के रूप में शंकरा मेडिकल कॉलेज एवं आरोग्यम हॉस्पिटल भिलाई में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।  एक प्रश्न के जवाब में शुभांशु ने बताया कि बचपन से ही मेरी मम्मी रश्मि गुप्ता जो कि गृहिणी एवं समाजसेवी है तथा पापा सुभाष गुप्ता जो कि सेवानिवृत्त बैंक मैनेजर हैं, दोनों ने प्यार व संस्कार दिए, उसी का परिणाम है कि मैं तप कर ऐसा आकार लिया और परिवार को गौरवान्वित किया।

 समय-समय पर बड़े पिताजी रमेश गुप्ता, स्व. संतोष गुप्ता एवं चाच स्व. सतीश गुप्ता, सुधीर गुप्ता, सुदीप गुप्ता का भी विशेष मार्गदर्शन रहा, जो पढ़ाई के लिए लगातार प्रेरित करते रहे। आज इसी का नतीजा है कि मैं डॉक्टर बनकर गरीब मरीजों की सेवा के लिए तैयार हूं। इसका श्रेय मेनोनाईट इंग्लिश स्कूल के गुरुजनों, प्राचार्य एवं ईष्ट मित्रों को भी जाती है।

 8वीं, 10वीं, 12 वीं में जब अच्छा रिजल्ट आया तभी मैंने तय कर लिया कि मैं डॉक्टर बनूंगा। घर में मम्मी, पापा इसके लिए पहले से तैयार थे. उन्होंने मुझे डॉक्टरी पढ़ाया और आज मैं डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा के लिए तैयार हूं।

 शिक्षा के संबंध में जानकारी देते हुए डॉ. शुभांशु ने बताया कि उन्होंने डी.वाय.पाटिल मेडिकल कॉलेज एण्ड रिसर्च सेंटर पूणे से एम.एस. आर्थोपेडिक की डिग्री हासिल की. उन्होंने प्रतिदिन 400 रोगियों की ओपीडी देखी. प्रति सप्ताह ओटी में लगभग 10 से 12 मामलों में सहायता की। पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में हिप फ्रैक्चर वाले रोगियों में कॉन्ट्रा लेटर हिप के बीएमडी का निर्धारण पर उनकी थीसिस प्रकाशित हुई।

 बैचलर ऑफ मेडिसिन एण्ड बैचलर ऑफ सर्जरी (एस.बी.बी.एस.) कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज मैंगलोर (एम.ए.एच.ई) से पूरी की, 2009 से 2014 तक आपातकालीन मामलों से लेकर आउट पेशेंट और इन पेशेंट मामलों तक सभी विभागों व नैदानिक कौशल विकास के अनुभव के साथ अपना स्नातक पूरा किया। चार साल में बारी-बारी से सभी विभागों में तैनात रहे. खेल एवं पाठ्येत्तर गतिविधियों में भी हिस्सा लिया।

 डॉ. शुभांशु गुप्ता ने  वर्धमान हॉस्पिटल मुजफ्फरनगर यूपी में एक वर्ष तक फैलोशिप भी की. प्रारंभिक शिक्षा के बारे में डॉ. शुभांशु ने बताया कि 1994 से 2008 तक वे मेनोनाईट इंग्लिश स्कूल धमतरी में पढ़े और सभी स्तरों पर प्रथम विशिष्टता प्राप्त करने वाले सुसंगत छात्र रहे। शिक्षण काल में उन्होंने भाषण में हिस्सा लिया और वाद-विवाद प्रतियोगिता में जीत हासिल की. खेलकूद टीम का सदस्य होने के साथ उन्हें स्कूल के प्रोजेक्ट के रूप में भी चुना गया।

कार्य अनुभव के बारे में उन्होंने बताया कि विभिन्न प्रसिद्ध अस्पतालों में उन्होंने कंधे और घुटने की आर्थोस्कोपी, कूल्हे, घुटने, कंधे की आर्थोप्लास्टी के साथ-साथ सरल एवं जटिल ईट्रा आर्टिकूलर ट्रामा मामलों (लगभग 8 मामले प्रति सप्ताह) के साथ ऑपरेशन थियेटर में स्वतंत्र रूप से काम करते हैं। ऑपरेशन थियेटर और आपातकाल में मामलों के प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण के तहत स्नातकोत्तर छात्रों की सहायता और मार्गदर्शन करने के अलावा अंडरग्रेजुएट मेडिकल और फिजियोथेरेपी क्षेत्रों के साथ शिक्षण का भी  बहुत अनुभव है। कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज मैंगलोर में एक साल से सभी क्लीनिकल विभाग में बारी बारी से उनकी पोस्टिंग की गई।

 

अनुभव प्रबंधन वार्ड, आपातकालीन विभाग की प्रक्रियाओं एवं प्रबंधन की तैयारी, एक माह की अवधि के लिए सभी विभागों में रोटेशन तैनात किया गया था. इस तरह से उन्होंने डॉक्टरी की पढ़ाई एवं संपूर्ण प्रशिक्षण पूरी की। डॉ. शुभांशु गुप्ता की पत्नी डॉ. प्रितिका गुप्ता डेंटिस्ट हैं, सहयोगी के रूप में वे भी शंकरा कॉलेज में उनके साथ अपनी सेवाएं दे रही हैं। 

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