राजनांदगांव
पौधरोपण से प्रकृति के संरक्षण में भी भूमिका होगी तय
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 24 मार्च। प्रदेश किसान कांग्रेस महामंत्री व जिला पंचायत सदस्य महेंद्र यादव ने विश्व वानिकी दिवस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा लोकार्पित की गई मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना को छत्तीसगढ़ के कृषकों के लिए उपयोगी व वनसंपदा के संरक्षण और विस्तार के लिए प्रशंसनीय प्रयास बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों से इस योजना के तहत कृषकों को बड़ा फायदा मिलने वाला है। जबकि जलवायु में सुधार के पहलुओं पर भी इसकी महत्वता है।
जिपं सदस्य महेंद्र यादव ने कहा कि राज्य के सभी 33 जिलों के 42 स्थानों में मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना का शुभारंभ हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में वाणिज्यिक वृक्षारोपण को बढ़ावा देकर किसानों की आय में बढ़ोतरी के लिए यह सराहनीय कदम है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार की जनहितैषी योजनाओं की सूची में इसका विशिष्ट स्थान होगा।
उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत किसान इस वर्ष 12 प्रकार की प्रजाति के वृक्ष का रोपण किया, कर पाएंगे। इनमें क्लोनल यूकलिप्टस, रूटशूट टीक, टिश्यू कल्चर, चंदन, मेलिया दुबिया, सामान्य बांस, टिश्यू कल्चर बम्बू, रक्त चंदन, आंवला, खमार, शीशम तथा महानीम आदि के पौधे रोपे जाने का सिलसिला शुरू हो गया है। सरकार ने 5 वर्षों में एक लाख 80 हजार एकड़ में 15 करोड़ वृक्षारोपण का लक्ष्य रखा है। इसके लिए प्रदेश में अब तक 20 हजार किसानों ने 30 हजार एकड़ निजी भूमि में पौधरोपण के लिए पंजीयन भी करा लिया है। पौधरोपण से किसानों को सलाना प्रति एकड़ 15 से 20 हजार रुपए तक की आय होगी।
प्रदेश किसान कांग्रेस महामंत्री महेंद्र यादव ने कहा कि यह योजना हमारी संस्कृति और आस्था से भी जुड़ी हुई है। छत्तीसगढ़ महतारी के उपासना प्राकृतिक रुप में ही की जाती है। प्रदेश में कला, परंपराएं, आध्यात्म, इतिहास सब कुछ वनसंपदा से ही जुड़ा हुआ है। इस तरह सरकार लोगों को उनके मूल से जोडक़र रखते हुए उसे आगे बढ़ाने का अवसर दे रही है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में लागू यह योजना अनूठी है। प्रदेश के लोगों के पास गौपालन, पारंपरिक कृषि के अलावा अब यह विकल्प भी उपलब्ध है। जिसमें वह अलग-अलग प्रजातियों का वृक्षारोपण कर अधिकाधिक लाभ कमा सकते हैं। इससे पर्यावरण को होने वाला फायदा भी अनुकरणीय है। यह योजना मुख्यमंत्री भूपेश सरकार की विकासपरक नीतियों के साथ ही प्रकृति के संरक्षण हेतु अपनी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।