दुर्ग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
उतई, 29 मार्च। कुछ दिनों से समाचार पत्रों, व्हाट्सएप और सोशल मीडिया में खबर प्रकाशित हो रहा था कि ग्राम पंचायत उमरपोटी नगर निगम रिसाली में शामिल होगा है, इस खबर की पुष्टि के लिए जब ग्राम पंचायत उमरपोटी सरपंच टिकेंद्र ठाकुर, उपसरपंच महेश कौशिक से संपर्क किया गया, तब जानकारी मिली कि ग्राम पंचायत उमरपोटी को निगम में शामिल करने का प्रस्ताव मेयर इन काउंसिल रिसाली का निजी फैसला है। जिसमें किसी भी प्रकार से ग्राम पंचायत का सहमति या प्रस्ताव पंचायत द्वारा नहीं दिया गया।
पूर्व में गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के समक्ष पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा ग्राम पंचायत उमरपोटी को पंचायत में ही रखने की मांग की जा चुकी है। इससे स्पष्ट है कि पंचायत प्रतिनिधि और समस्त ग्रामवासी नगर निगम रिसाली में शामिल होने के पक्ष में बिल्कुल भी नहीं है। यह रिसाली निगम का निजी पारित प्रस्ताव है, जिस संबंध में अभी तक ग्राम पंचायत को किसी प्रकार का पत्र व्यवहार और ना ही आदेश प्राप्त हुआ हैं।
ग्रामीणों का कहना हैं कि पंचायत में रहने में ही उनका भलाई है। किसी भी निगम में जुडऩे से कोई लाभ नहीं होता यदि गांव का विकास निगम बनने से ही होगा तो अभी तक कांग्रेस के 4 साल को छोडक़र रूआबांधा और रिसाली बस्ती, बोरसी बस्ती, पोटिया बस्ती, कसारीडीह, बघेरा बस्ती का कितना विकास हुआ है। सभी के नजर के सामने हैं।
गांव का अस्तित्व भी खो चुका और रोजगार गारंटी जैसे शासन के अन्य जन कल्याणकारी योजनाओं से भी वंचित होना पड़ा, अगर ग्राम पंचायत उमरपोटी रिसाली निगम में जुड़ता है। तो उनका भी यही हाल होना तय है, क्योंकि सघन बस्ती में रहने वाले मूल निवासी गरीब तबके के हैं, जोकि निगम के कर और नियम कानून को सहन करने की स्थिति में नहीं है।
सरपंच का कहना है कि निगम में शामिल होने की इच्छा मात्र कुछ ही लोगों की है जिसका की उमरपोटी गांव से कोई लगाव या सरोकार नहीं है और स्वयं का निजी हित चाहते हैं। निगम में शामिल होने के खबर मात्र से गांव के जनता काफी आक्रोशित है और किसी भी स्थिति में इस फैसले के खिलाफ है। निगम के इस प्रस्ताव से पंचायत प्रतिनिधि व आमजन किसी भी प्रकार से सहमत नहीं है। अगर ऐसा कुछ होता हैं तो समय आने पर इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।
उपरपोटी सरपंच टिकेंद्र ठाकुर ने कहा कि गांव के मूल निवासी गरीब तबके के है, जो कि निगम के कर और नियम कानून को सहन करने की स्थिति में नहीं है। निगम में शामिल होने की खबर मात्र से गांव के लोग आक्रोशित है। क्योंकि उनको मिलने वाला 100 दिनों का रोजगार छीन जाएगा। इस वजह से किसी भी स्थिति में ग्रामीण रिसाली निगम में जुडऩा नहीं चाहते।