रायपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 मार्च। पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. केशरी लाल वर्मा ने डॉ. हितेश कुमार की 2 किताबों का विमोचन किया। पहली किताब डॉ. हितेश कुमार एवं शंकर लाल कुंजाम के साथ छत्तीसगढ़ी में बहुपयोगी किताब छत्तीसगढ़ी संस्कृति के अप्रतिम सोपान नरवा-गरवा-घुरवा-बारी का विमोचन किया गया।
द्वितीय किताब छत्तीसगढ़ी कृषि शब्दावली (सांस्कृतिक अध्ययन) जिनके लेखकद्वय डॉ. हितेश कुमार एवं खेमलाल चंदेल जी हैं। प्रस्तुत किताबें छत्तीसगढ़ के जनजीवन, छत्तीसगढ़ी साहित्य एवं संस्कृति का सरलता से बोध कराती है। उक्त किताबे प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रतिभागियों के लिए भी उपयोगी होंगी।
नदी-नाले, पशुधन, गोमय, और बाड़ी जो गँवई-गाँव की संस्कृति के प्रमुख अंग हैं। ‘नरवा-गरवा-घुरवा-बारी’ विषयक शब्दावली एवं इन से संबंधित लोकगीत, जसगीत, ददरिया, हाना, और राउत दोहा के संग्रह से इस कृति की पठनीयता बढ़ गई है। कृषि औजार, किसानी से संबंधित शब्द, पशुओं के रोगों की शब्दावली वर्णन, किसानी के गीत, कविता, ददरिया, लोक-जीवन के मुहावरे, हाना, जनउला, धान की किस्मों के समृद्ध नाम, आदि का सचित्र विवेचन इस पुस्तक की विषयवस्तु है।
कृषि संस्कृति की प्राच्य पद्धतियों, यंत्रों, उपयोगी औजारों सहित नवीनतम आधुनिक उपकरणों की जानकारी युवा-पीढ़ी को ‘जनभाषा छत्तीसगढ़ी’ में उपलब्ध करा रहे हैं। ‘शब्दकोठी’ विलुप्त हो रहे शब्दों के संरक्षण-संवर्धन, जनभाषा छत्तीसगढ़ी को प्रसारित करने, और भाषाविज्ञान की कोश-निर्माण परंपरा को नया आयाम मिलेगा।