बलौदा बाजार

शोभायात्रा निकाल जोत जवारा का विसर्जन
31-Mar-2023 7:35 PM
शोभायात्रा निकाल जोत जवारा का विसर्जन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

भाटापारा, 31 मार्च। शक्ति की भक्ति का महापर्व चैत्र नवरात्र का गुरूवार को रामनवमी तिथि पर आस्था के सैलाब के बीच समापन हुआ। नौ दिनों तक चले नवरात्र के अंतिम दिन जोत-जँवारा का विसर्जन हुआ।

इस दौरान मंदिरों और घरों से विसर्जन यात्रा निकली। जहां बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। गौरतलब है कि इस बार चैत्र नवरात्र की शुरुआत दुर्लभ महासंयोग के बीच हुआ था। अंचल के गांवों में चैत्र नवरात्र के अष्टमी तिथि पर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हवन पूजन हुआ। जहां आहूति देने श्रद्वालुओं का तांता लगा रहा।

नवमीं तिथि पर गांव-गांव में जँवारा विसर्जन के लिए शोभायात्रा निकाली गई। मां के भक्त मुंह में बाना छिदवाकर जँवारा विसर्जन शोभायात्रा में निकले तो वहीं महिलाएं, युवतियां व बालिकाएं अपने सिर पर जँवारे के खप्पर रखकर चल रही थीं। देवी मंदिरों और घरों से निकले जँवारों की शोभायात्रा गांव भ्रमण के बाद स्थानीय तालाब में विसर्जित होने पहुंची। जहां पूजा-अर्चना के बाद विसर्जन किया गया। विसर्जन के दौरान देर रात तक तालाब पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही।

उल्लेखनीय है कि नौ दिनों तक मां की आराधना में लीन भक्तों ने विधि-विधान से मां का पूजन अर्चना कर आशीर्वाद लेकर व्रत का समापन किया। आसपास के सभी देवी मंदिरों सहित घरों में भी कन्या भोज का आयोजन किया गया। चैत्र नवरात्र के अंतिम दिन जँवारों के विसर्जन यात्रा में महिलाएं सिर पर कलश जँवारा रखकर नंगे पैर यात्रा में शामिल हुई। एक ओर महिलाएं अपने सिर पर जँवारा लेकर चल रही थी तो वहीं दूसरी ओर भक्तगण जसगीत गाते चल रहे थे। नौ दिनों तक माता की सेवा में लगे भक्तों ने पारंपरिक बाजे-गाजे के साथ नम आंखों से माता को विदाई दी। जस सेवागीत गाते सेवा मंडली के साथ भक्त बाना लिए शोभा यात्रा निकालकर जँवारा और पाठपीड़ा को स्थानीय तालाब में विसर्जित किया।

दर्शन के लिए शोभा यात्रा में आसपास के गांव से भी भक्त बड़ी संख्या में शामिल हुए। यात्रा में बाना लिए थिरकते कदम से भक्त चल रहे थे। जसगीत और मांदर की थाप के साथ ही जहां कुछ महिलाएं देवी चढऩे पर झूपते हुए चल रहे थे, तो वहीं शोभायात्रा में शामिल सैकड़ों श्रद्धालु भक्त नाचते-गाते विसर्जन के लिए पहुंचे। चैत्र नवरात्र के अवसर पर पूरे नौ दिनों तक देवी मंदिरों में आस्था की मनोकामना ज्योति प्रज्जवलित की गई थी। इस दौरान सुबह से देर रात तक मंदिर परिसर जसगीतों से गुंजायमान होता रहा। तो वहीं दर्शन-पूजन करने भक्त सपरिवार देवी मंदिर पहुंच रहे थे।

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