कोरिया

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर 13 मई। मनेन्द्रगढ़ वनमंडल के जनकपुर पहुंच मार्ग पर पडऩे वाले वन विभाग के मुनारे कांग्रेस के पंजा छाप निशान से सराबोर है। मुनारो के स्वरूप बदल कर उसमें पंजा छाप के बड़े-बड़े निशान बनाकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जिंदाबाद, डॉ.चरणदास महंत जिंदाबाद के नारे लिख दिए गए है, जबकि मुनारे का स्वरूप बदलना कानून रूप से संज्ञेय अपराध की श्रेणी में तो आता ही है साथ ही लोक संपत्ति निरूपण अधिनियम के तहत भी गैर जमानती अपराध है।
इस सिलसिले में मनेन्द्रगढ़ वन मंडल के डीएफओ लोकनाथ पटेल से मोबाइल पर संपर्क किया गया उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया, उन्हें टैक्ट मैसेज और व्हाट्सअप मैसेज कर जवाब मांगा गया, परन्तु उनकी इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
चुनावी वर्ष हैं, कांग्रेस चुनावी तैयारी में जुटी है, हर हाल में जनता के बीच पहुंचने की होड़ मची हुई है। हाल ही में विधानसभा अध्यक्ष डॉ.चरणदास महंत का दौरा जनकपुर क्षेत्र में था, उनके दौरे के पूर्व कांग्रेस ने वन विभाग के मुनारों के स्वरूप को ही बदल डाला, जिस रास्ते से डॉ. महंत का काफिला जनकपुर पहुंचा, बरेल से लेकर जनकपुर तक वह रास्ता जंगलों के बीच से गुजरता है, रास्ते के किनारे बड़ी संख्या में वन विभाग के मुनारे स्थित है।
ज्यादातर सडक़ पर है, कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने मुनारों को कांग्रेसमय कर दिया, मुनारो पर पंजा छाप का निशान के साथ नेताओं के जिंदाबाद के नारे लिखवा दिए, मुनारों के अलावा कई शासकीय संकेतों पर भी नारे लिखवा डाले जिन पर गांव पहुंच मार्ग व किमी अंकित था। मुनारों को पूर्व में वन विभाग ने सफेद रंग से पुतवा कर उनमें नंबर अंकित किए थे, उस पर कांग्रेस के चुनाव चिन्ह का निशान बना दिया गया हैं, जिससे मुनारें पर लगा नंबर मिट चुका है। वहीं जिस पेंटर ने इन मुनारों का स्वरूप बदला उसने बकायदा मुनारों पर ही अपना मोबाइल नंबर और नाम अंकित कर रखा है। अब सवाल यह उठ रहा है कि वन विभाग इतना बडा अपराध किस राजनीतिक दबाव मे आकर कर रहा है, कही ना कही पूरे मामले में डीएफओ मनेनद्रगढ़ की भूमिका संदिग्ध देखी जा रही है। जबकि जानकार बताते है कि मामले में पेंटर से पूछताछ कर लिखवाने वाले तक पहुंच कर कार्यवाही की जानी चाहिए।
क्या होता है मुनारा
वन विभाग में वनोंं को अलग-अलग कक्ष क्रमांक में बांटा जाता है, वनमंडल का परिक्षेत्र, बीट व कक्ष का सीमांकन मुनारों द्वारा किया जाता है, मुनारा सीमा दर्शाता है, मुनारे में मुनारा क्रमांक रहता है, मुनारा जगल की दिशा बताता है। किस तरफ का जंगल कौन सा है। मुनारा राजनीतिक प्रचार का संसाधन नहीं है इनमें वनों को बचाने के स्लोगन लिखे रहते है। इसके अलावा कक्ष का इतिहास लिखा रहता है।
गैर जमानती अपराध
वन विभाग के जानकारों के अनुसार मुनारों के स्परूप को बदलना गंभीर अपराध है, वन अधिनियम 1927 की धारा 63 के तहत सीमा चिन्हों (मुनारा) को विस्पित करने बदलने पर गैर जमानती अपराध जिसकी अवधी दो वर्ष, जुर्माना या दोनो से दंडनीय होगा। दूसरी ओर लोक संपत्ति निरूपण अधिनियम के तहत शासकीय संपत्ति को अनुज्ञा के बिना सार्वजनिक दृष्टि में आने वाली किसी संपत्ति को स्याही, खडिय़ा, रंग या किसी अन्य पदार्थ से लिखकर या चिन्हित करके उसे विरूपित करेगा, उस पर जुर्माने के साथ दंडनीय अपराध की सीमा में आएगा।