रायपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 28 मई। बड़े -बड़े भीमकाय फ्लैक्स वाले ये होर्डिंग सडक़ों से गुजरने वाले लोगों के सिर पर मौत बनकर खड़े हैं। फटे हुए फ्लैक्स के बाद 8-10 मंजिल की ऊंचाई पर टगें लोहे के भारी ढांचे यमराज की रह किसी की जान लेने को आतुर रहते हैं। ये तस्वीरें शनिवार शाम रायपुर की हैं। जहां हल्की सी आंधी से ये होर्डिंग फट गए। यह स्थिति सिर्फ रायपुर नहीं सभी निकायों का यही हाल है।
सवाल ये है की कमाई या कहें राजस्व के लिए लगाए ये होर्डिंग किसी दोपहिया सवार या ऑटो में गिर गया होता तो राह चलते व्यक्ति की मौत हो जाए, अपंग या गंभीर रूप से घायल हो जाए।बिजली के तार पर फ्लैक्स गिरने से शॉट सर्किट हो जाए किसी की संपत्ति जलकर खाक हो जाए तो उसकी जिम्मेदारी एक,दूसरे पर डालने की राजनीति खेली जाएगी। इसे लेकर विज्ञापन पॉलिसी बनाने वाली राज्य सरकार की,जिला अध्यक्ष कलेक्टर की, निगम आयुक्त की,होर्डिंग मालिक एक दूसरे पर थोपा जाएगा। पीडि़त और उसके परिवार की जिम्मेदारी कौन उठाएगा। राजनीतिक पार्टियां कुछ नहीं बोलेंगी क्योंकि इनमें आधा स्टेक तो नेताओं का होता है चाहे वो जिस किसी पार्टी का हो।इनमें से ज्यादातर को तो रोड में चलने वालों की जान से कोई लेना देना ही नहीं होता।
बस उनका काम चलता रहे और आम आदमी रेंगता रहे।और किसी दिन किसी दुर्घटना का शिकार हो जाए। सरकारों का क्या है 5 लाख मुआवजा देकर आपको शांत कर दिया जायेगा।निगम और नेता कमाते रहेंगे। कमाई के इसी उपक्रम में राजधानी में 27 करोड़ का होर्डिंग घोटाला कर दिया गया। एजेंसी को होर्डिंग की साइज घटाने, और एक-दो अफसरों के तबादले कर निगम के कारिंदे इतिश्री कर बैठे हैं।