बस्तर

रेड फ्लावर अभियान : माहवारी को लेकर जागरूक करने की जिम्मेदारी
29-May-2023 7:15 PM
रेड फ्लावर अभियान : माहवारी को  लेकर जागरूक करने की जिम्मेदारी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 29 मई।
माहवारी के दौरान साफ सफाई को लेकर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों की महिलाओं में अभी भी ज्यादा जागरूकता नहीं है इसके चलते बड़ी संख्या में लड़कियां और महिलाएं बीमारियों का शिकार हो जाती है। एनजीओ चेतना चाइल्ड एंड वूमेन वेलफेयर सोसायटी इस हालात को बदलने की कोशिश पिछले 10 वर्षों से कर रही है। इस कार्य में संस्था बस्तर के सात ब्लाकों में अपनी ग्रामीण वैलेंटियर के माध्यम से अलग-अलग तरीकों से किशोरियों महिलाओं और पुरुषों को फिल्मों, नुक्कडऩाटक, संवाद के माध्यम से जागरूक करती आ रही है। 

इस वर्ष संस्था द्वारा गांव माड़पाल, नक्तिसेमारा, ऊपनपाल, बस्तर, आडावल में 500 किशोरी एवं महिलाओं ने एक अनोखे तरीके से महावारी स्वच्छता दिवस बड़े हर्षोल्लास से मनाया गया, जहां पूरी दुनिया रेड डॉट अभियान चला रही है, वहीं पर संस्था द्वारा रेड फ्लावर अभियान के माध्यम से माहवारी को लेकर जागरूक करने की जिम्मेदारी निभा रही है। रेड फ्लावर अभियान के पीछे की कहानी यह है कि लाल रंग महिलाओं और किशोरियों को बहुत प्रिय जैसे की लाल बिंदी, लाल चूड़ी, लाल लिपस्टिक, लाल वस्त्र, लाल सिंदूर से महिलाएं खुद को संवारती है जब सभी लाल रंग किशोरी महिलाओं की पसंद है वहीं पर लाल महावारी पर इतना झिझक क्यों। संस्था द्वारा 7 ब्लॉकों में लाल फूल को हाथों में लेकर लड़कियों एवं महिलाओं द्वारा शपथ लिया गया कि अब तक महावारी से संबंधित जितनी भी भ्रांतियां लोगों की सोच और व्यवहार में दिखता है उसे हम आने वाले समय में जल्द से जल्द पूरी तरीके से खत्म कर देंगे, जिससे अगली पीढ़ी बिना डर और झिझक के खुले विचारों के साथ महामारी धर्म स्वच्छता प्रबंधन पर खुलकर चर्चा करेंगे।

संस्था प्रमुख रीखा पारेया द्वारा कहा गया कि मैंने एक रिपोर्ट के मुताबिक पढ़़ा था कि बस्तर संभाग में मासिक धर्म के दौरान मात्र 30 प्रतिशत  महिलाएं सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं वहीं 10 फीसदी युवतियों का मानना है कि मासिक धर्म एक बीमारी है। मेरी जिम्मेदारी बनती है कि अगर 30 फीसदी प्रतिशत महिलाएं सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती है तो बाकी के 70 फीसदी प्रतिशत कपड़े का इस्तेमाल करती होगी तो हमें उन्हें कैसे महावारी स्वच्छता प्रबंधन के बारे में जानकारी देनी चाहिए ना कि सेनेटरी नैपकिन के उपयोग के लिए दबाव डालना चाहिए और मासिक धर्म को बीमारी ना मानते हुए, इसे कैसे बताएं हमें तो गर्व होना चाहिए कि मुझे प्रकृति के द्वारा यह वरदान मिला है कि सृष्टि के द्वारा बनाया गया इस चक्र का भी मैं एक खूबसूरत हिस्सा हूं, और मुझे इस बात का गर्व हैं मेरे साथ साथ किशोरियों और महिलाओं को भी गर्व होना चाहिए। 

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