सरगुजा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 31 मई। श्री शंकर घाट सेवा समिति द्वारा मां गंगा के अवतरण दिवस गंगा दशहरा के अवसर पर मंगलवार को बांक नदी तट शंकर घाट में वर्षों से विलुप्त परंपरा ने इस बार भव्य रूप लिया। बनारस से गंगा आरती समूह के द्वारा की गई गंगा आरती से बांक नदी तट पर एक अद्भुत नजारा देखने को मिला। इस आयोजन को लेकर भारी संख्या में श्रद्धालु शंकर घाट पहुंचे थे। गंगा मैया की जय जय कार के साथ पूरा माहौल भक्ति से ओतप्रोत दिखा। दीपों की रोशनी में बांक नदी तट काफी खूबसूरत नजर आ रहा था।
मंगलवार को बांक नदी तट, शंकर घाट अंबिकापुर में विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भव्य आयोजन किया गया। हालांकि विगत वर्षों की भांति इस वर्ष का आयोजन काफी भव्य था। जिसका मुख्य आकर्षण बनारस का गंगा आरती समूह रहा।
गंगा दशहरा पर सुबह से दशईं स्नान, शाम 4 बजे से भजन संध्या, शाम 6 बजे से दीप प्रज्वलन एवं दीपदान का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसके बाद शाम 7 बजे से गंगा आरती की गूंज सुनाई देने लगी।
बनारस के गंगा आरती समूह के द्वारा पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। यह दृश्य अपने आप में काफी मनमोहक था। चार और भक्ति के बाजार दिख रही थी। इस आयोजन को लेकर भारी संख्या में श्रद्धालु भी शंकर घाट पहुंचे हुए थे। गंगा आरती के बाद प्रसाद वितरण एवं भंडारा का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
ज्ञात हो कि इस आयोजन को लेकर काफी दिनों से श्री शंकर घाट सेवा समिति के सदस्यों के सक्रिय भागीदारी से शंकर घाट बांक नदी तट की साफ-सफाई, सीढ़ी एवं दीवाल की पुताई की व्यवस्था एक दिन पूर्व ही पूर्ण कर ली गई थी। टेंट व लाइटिंग की व्यवस्था भी शंकर घाट में की गई थी। समिति के आह्वान पर अंबिकापुर के कई संगठनों ने साफ-सफाई में अपना श्रमदान दिया था।
पहले मनाया जाता था गंगा दसई मेला-
गौरतलब है कि सरगुजा अंचल के ग्रामीण क्षेत्र में इस पर्व का विशेष महत्व है। पहले गंगा दशहरा का त्यौहार भव्य रुप से गंगा दशईं मेला के रूप में मनाया जाता था। विगत कुछ वर्षों से यह परंपरा विलुप्त सी हो गयी है। पुन: इस परंपरा को पुनर्जीवित करते हुए समिति द्वारा इस कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया।