सरगुजा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 1 जून। भारतेन्दु साहित्य-कला समिति सरगुजा ने स्टेडियम परिसर स्थित भारतेन्दु भवन में समिति के संस्थापक अध्यक्ष, पं. सुन्दरलाल शर्मा छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण, साहित्य सम्मान से अलंकृत जे.एन.मिश्र की पुण्यतिथि पर काव्य संध्या एवं सरगुजिहा बोली पर पहली पत्रिका ‘गागर’ के लोकार्पण का कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि बबन पाण्डेय ने स्कूल के सानिध्य से लेकर आखिरी समय तक के महत्वपूर्ण मेल-जोल का विवरण प्रस्तुत किया।
समिति के उपाध्यक्ष डॉ. सुदामा मिश्र ने जे.एन.मिश्र कि रचनाओं के अभ्यन्तर क्रम में परम्परागत बदलाव पर प्रकाश डाला। वक्ता बी.डी. लाल ने मिश्र के साहचर्य, मिलन के साथ ही सरगुजिहा के साहित्यकारों के अवदान का उल्लेख किया। आर.डी.मिश्र ने जे.एन.मिश्र से अपनी वार्तालाप सदैव अवधि में करने को सिलसिले वार क्रम में प्रस्तुत किया।
महासमुंद से आए कवि एवं साहित्यकार बंधु राजेश्वर राव खर्रे ने हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ‘ मिश्र को अपने समय का महान साहित्यकार’ कहा तो समिति एवं कार्यक्रम की अध्यक्ष नीलिमा मिश्र ने कहा कि-पारिवारिक संस्कार एवं साहित्यिक अवदान की प्रेरणा पिता (जे.एन.मिश्र) से मिली।
समिति के सचिव डॉ. सुधीर पाठक ने अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सद्य लोकार्पित सरगुजिहा बोली की पहली पत्रिका ‘गागर’ के संबंध में विस्तार से बतलाते हुए अधिकाधिक लोकबोली के रचनाकारों को पत्रिका एवं समिति से जुडऩे का आह्वान किया।
इसके पूर्व अतिथियों ने माता सरस्वति, भारतेन्दु हरिषचन्द्र एवं जे.एन.मिश्र जी के छायाचित्र सम्मुख माल्यार्पण व पुष्प अर्पित करते हुए दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजेश्वर राव खर्रे को शाल ओढ़ाकर श्रीफल व पुष्पगुच्छ प्रदान करते हुए द्वितेन्द्र मिश्र एवं जे.पी. श्रीवास्तव ने सम्मानित किया। इस सत्र का संचालन प्रकाश कश्यप ने किया।