महासमुन्द

वरदान साबित हो रहा मेडिकल कॉलेज महासमुंद सिकलसेल प्रबंधन इकाई बेहतर टीम के कारण पड़ोसी जिले के लोग भी पहुंच रहे
02-Jun-2023 3:24 PM
वरदान साबित हो रहा मेडिकल कॉलेज महासमुंद सिकलसेल प्रबंधन इकाई बेहतर टीम के कारण पड़ोसी जिले के लोग भी पहुंच रहे

अब तक यहां 1944 लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिल चुका 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 2 जून।
महासमुंद समेत पड़ोसी जिलों के मरीजों के लिए भी मेडिकल कॉलेज महासमुंद स्थित सिकलसेल प्रबंधन इकाई वरदान साबित हो रहा है। बेहतर टीम वर्क, पर्याप्त चिकित्सक तथा अन्य स्टाफ  व पर्याप्त दवाइयों के चलते केवल महासमुंद ही नहीं बल्कि पड़ोसी जिले रायपुर, गरियाबंद, बलौदा बाजार के अलावा पड़ोसी राज्य ओडिशा के नुआपाड़ा, खरियार रोड के मरीज भी यहां स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए पहुंचते हैं। बीते साल 1 अक्टूबर 2021 को सिकलसेल की पृथक ओपीडी शुरू करने के बाद से अब तक यहां 1944 लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिल चुका है। 

यहां शिशु, युवा तथा बुजुर्गों के लिए पृथक-पृथक चिकित्सक सेवा देते मेडिकल कॉलेज से मिली जानकारी के नुसार जिले में सैकड़ों की संख्या में सिकलसेल के मरीज हैं। सिकलसेल इकाई की स्थापना के पूर्व यहां के मरीज रायपुर मेकाहारा या भिलाई के सेक्टर 09 अस्पताल या फिर निजी अस्पतालों पर ही नर्भर थे। लेकिन इसकी स्थापना से के मरीजों को दवा लेने की सुविधा के विशेषज्ञों ने सिकलसेल बीमारी के संबंध में बताया कि यह कई बीमारियों का एक समूह है,जो खून में मौजूद हीमोग्लोबीन को प्रभावित करता है। यह एक वंशानुगत बीमारी है जो बच्चों को अपने माता-पिता से मिलती है। इसमें हीमोग्लोबिन के असामान्य अणु जिन्हें हीमोग्लोबिन एस कहते हैं। ये लाल रक्त कोशिकाओं का रूप बिगाड़ देते हैं। जिससे वह सिकल या अर्ध चंद्राकार स्वरूप का हो जाता है। ऐसे बिगड़े रूवरूप की रक्त कोशिकाएं छोटी धमनियों से आसानी से गुजर नहीं पाती है और गुजरने की प्रक्रिया के दौरान टूट जाती हैं। कई बार से धमनियों से गुजरने के दौरान वहां फंस जाती है और रक्त संचरण प्रभावित होता है। 

डॉक्टरों के मुताबिक सामान्य लाल रक्त कोशिकाएं जहां 90 से 120 दिन तक जीवित रहती हैं वहीं सिकल सेल सिर्फ 10 से 20 दिन तक ही जीवित रह पाती हैं। इस कारण मरीज को तेज दर्द महसूस होता है और कई गंभीर बीमारियां जैसे इंफेक्शन, स्ट्रोक या एक्यूट चेस्ट सिंड्रोम होने का खतरा रहता है। इसके अलावा मरीज को हड्डियों और जोड़ों के क्षतिग्रस्त होने, किडनी डेमेज होने, दृष्टि संबंधी समस्याएं होने जैसी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

मेडिकल कॉलेज के सुप्रिटेंडेंट डा. बसंत माहेश्वरी ने बताया कि यहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम सिकलसेल के मरीजों का ख्याल रख रही है। उनके उपचारए परामर्श और फालोअप की पूरी व्यवस्था है। सिकल सेल प्रबंधन केंद्र में संपूर्ण ब्लड काउंट टेस्ट, हीमोग्लोबिन ईलेक्ट्रोफोरेंसिस टेस्ट, समान्य हीमोग्लोबिन की जांच की जाती है। इसके अलावा यूरीन जांच कर किसी भी तरह के छिपे इंफेक्शन का पता लगाया जाता है। साथ ही एक्सरे आदि की सुविधाएं यहां मरीजों को मिल रही है।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news