महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 9 जून। स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 50 बिस्तर मातृ शिशु अस्पताल एवं स्त्री रोग के लिए बनाये गए अस्पताल का उद्घाटन हुए तीन वर्ष हो चुके, यहां विशेषज्ञ सर्जन भी पदस्थ है। इसके बावजूद क्षेत्र की महिला मरीजों को ऑपरेशन के लिए महासमुंद भेजा जा रहा है।
इस संबंध में सर्जन डॉ. एस डड़सेना ने ऑपरेशन नहीं होने का कारण जनरेटर का खराब होना बताया, जबकि खण्ड चिकित्सा अधिकारी ने इसका कारण जिला चिकित्सा अधिकारी का आदेश बताया। दूसरी ओर जिला चिकित्सा अधिकारी से उक्त कथित आदेश के सम्बन्ध जानकारी लेनी चाही, परन्तु उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।
देश भर की सरकारों द्वारा अपने-अपने प्रदेशों में स्वास्थ्य सुविधा का विस्तार कर मोहल्ले-मोहल्ले में जन स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए मोहल्ला क्लीनिक की सुविधा दी जा रही है। यहां तक कि बस्तर में डॉक्टरों को एक कॉल पर घर पहुंच कर उपचार के नियम बनाये गए हंै, परन्तु महासमुंद जिले में स्वास्थ्य सुविधा पूरी तरह हासिये पर चली गई है। जिले के पिथौरा क्षेत्र में शासन द्वारा भरपूर आबंटन दिया जा रहा है। ओपीडी पर्ची के भी नियम विरुद्ध 10 रुपये लिए जा रहे हैं, इसके बावजूद अल्प सुविधा में ही अस्पताल संचालित है।
आश्चर्य की बात तो यह है कि यहां के अस्पतालों की दुर्दशा की पूरी जानकारी उच्चाधिकारियों को होने के बाद भी किसी ने कोई सुधार का प्रयास किया हो ऐसा लगता नहीं है। ‘छत्तीसगढ़’ ने उक्त सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की कमियों को उजागर किया गया था, इसके बावजूद पखवाड़ा बीत जाने के बाद भी अस्पताल की समस्याएं जस की तस है।
सिजेरियन सर्जन हैं, परन्तु मरीज जिला अस्पताल भेज जा रहे
पिथौरा स्वास्थ्य केंद्र में स्त्रीरोग विशेषज्ञ सर्जन मौजूद है, परन्तु सर्जरी के मामले जनरेटर एवं अन्य संसाधनों के अभाव में जिला अस्पताल भेजे जा रहे हैं। जानकारों के अनुसार केंद्र सरकार की योजना के तहत सभी ब्लॉक मुख्यालयों में मातृ शिशु अस्पताल बनाया जाना है। पिथौरा में भी मातृ शिशु अस्पताल को प्रारंभ हुए 3 बरस से अधिक समय हो चुका, परन्तु यहां पदस्थ अफसरों ने केंद्र की उक्त योजना पर कुछ इस तरह सेंध लगाई है कि अभी भी 10 वर्ष पूर्व की तरह मात्र नॉर्मल प्रसव ही कराए जा रहे हंै। प्रसव हेतु उक्त अस्पताल में भरपूर आबंटन है।
स्त्रीरोग विशेषज्ञ सहित कोई आधा दर्जन डॉक्टरों की यहां नियुक्ति की गई है। मरीजों को भर्ती करने एवं उनकी सुविधा हेतु लिफ्ट, एसी ,जनरेटर के साथ सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई है, परन्तु यहां न तो लिफ्ट चलती है और न ही जनरेटर चलता है और न ही मशीनों को चलाने वाला कोई ऑपरेटर ही नियुक्त किया गया है। लिहाजा यहां शाम ढलते ही सिजेरियन मामलों को बड़ी बेदर्दी से जिला अस्पताल भेज दिया जाता है।
जिला अधिकारी के आदेश से सिजेरियन नहीं
उक्त सम्बन्ध में स्थानीय खण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ तारा अग्रवाल ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि जिला सीएमओ कार्यालय का निर्देश है कि शाम ढलते की सिजेरियन या किसी भी गम्भीर मामले को महासमुन्द भेजना है लिहाजा शाम के समय जो भी गंभीर मामला आएगा उसे यहां उपचारित करने की बजाय जिला अस्पताल भेजा जाएगा।
पीएचसी डॉक्टर, बगैर ड्यूटी मिलती है पगार
पिथौरा क्षेत्र में करीब 7 पीएचसी हंै। अधिकांश मे डॉक्टरों की नियुक्ति है, परन्तु ‘छत्तीसगढ़’ ने दौरे के दौरान देखा कि मात्र पिरदा स्वास्थ्य केंद्र में ही एक डॉक्टर देखे गए। बाकी किसी भी स्वास्थ्य केंद्र में नियुक्त डॉक्टर कभी कभार ही अपनी ड्यूटी में जाते हैं, शेष दिन वे अपने निजी कार्यों में व्यस्त रहते हंै। इसके अलावा पिथौरा में पदस्थ दन्त चिकित्सक अभी भी पिथौरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं आती। जबकि दन्त रोग से ग्रसित लोग ओपीडी पर्ची लिए घूमते दिखाई दे जाते हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ड्यूटी किये बगैर ही सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों को वेतन नियमित रूप से मिलता है। ग्रामीण डॉक्टरों में अधिकांश डॉक्टरों की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी डयूटी नहीं लगाई जा रही, जिससे ग्रामीण डॉक्टर बगैर काम के ही समय से अपना वेतन ले रहे हैं, जिससे ग्रामीणों को सुविधाएं नहीं मिल रही बल्कि शासन के खजाने में स्वस्त्य के नाम से सेंध जरूर लग रही।
इधर पिथौरा पीएचसी के बारे में ‘छत्तीसगढ़’ द्वारा सीएमएचओ से मोबाइल पर बात करने पर उन्होंने कहा कि मैंने अभी यहां का प्रभार लिया है। पहले यहां की व्यवस्था समझ लू तब बात करूंगा। इसके बाद दोबारा फोन करने पर कॉल रिसीव नहीं किया गया।