कोरिया

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 19 जुलाई। ग्रामीणों ने पूरे गांव की निस्तार की सडक़ निर्माण की मांग पंचायत प्रतिनिधियों, सचिव से लेकर कलेक्टर और जनप्रतिनिधियों से की, परन्तु उनकी मांग पर किसी भी प्रकार की कोई सुनवाई नहीं हुई, जिसके बाद ग्रामीणों ने एकजुटता दिखाते हुए पहले चंदा किया और खुद श्रमदान कर सडक़ का निर्माण कर डाला। मनसुख गांव कोरिया जिलामुख्यालय से महज 8 किमी दूर स्थित है। हलांकि अभी सडक़ का कुछ काम बाकि है जिसके लिए ग्रामीण प्रतिदिन फावड़ा लेकर सडक़ बनाने में जुट जाया करते हंै।
जानकारी के अनुसार कोरिया जिले के बैकुंठपुर जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत मनसुख मेंं मुख्य मार्ग से खालपारा होकर घुघरा पहुंच मार्ग कई वर्षों पूर्व मिट्टी सडक़ का निर्माण किया गया था, बाद मेंं यह सडक़ पूरी तरह जर्जर हो गई, सडक़ के दोनों ओर नाली नहीं होने के कारण बारिश का पानी सडक़ के बीचोंबीच से जाता था, जिससे सडक़ में बड़े-बड़े गड्ढे हो गए थे, दरअसल, यह सडक़ नीचे धनुहर नाले से जाकर मिलती है, और पूरे गांव का निस्तार इसी सडक़ से होता है, सडक़ से प्राय गांव के हर व्यक्ति को काम पडता है, और सडक़ के खस्ताहाल हो जाने से ग्रामीण बेहद परेशान थे।
सडक़ निर्माण की मांग को लेकर ग्रामीणों ने कलेक्टर जनदर्शन से लेकर तमाम जनप्रतिनिधियों को आवेदन सौंपा और सडक़ निर्माण की मांग की, परन्तु उनकी इस मांग पर किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। जिसके बाद उन्होंने स्वयं सडक़ के निर्माण करने का फैसला किया।
3-3 सौ रू का किया चंदा
बारिश शुरू होते ही सडक़ मे बड़े बड़े गढ्ढे हो जाने और आने जाने में हो रही परेशानियों के कारण ग्रामीणों ने प्रशासन से उम्मीद छोड दी, सडक़ निर्माण के लिए सभी ने बैठक की और सडक़ के बगल से नाली निर्माण की सहमति बनी, इसके लिए जेसीबी लाकर नाली निर्माण कराने जाना तय हुआ, परन्तु जेसीबी के लिए पैसा जुटाने के लिए सभी से 3-3 सौ चंदा जुटाया गया, जिसके बाद जेसीबी मशीन को किराए पर लाकर सडक़ किनारे नाली निर्माण करवाया गया, वहीं सडक़ निर्माण के लिए स्वयं ग्रामीणों ने जमकर श्रमदान किया, इस कार्य में गांव की महिला पुरूषों दोनों ने बढ़-चढक़र हिस्सा लिया।
प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया-ग्रामीण
आदिवासी बाहु ल्य ग्राम पंचायत मनसुख के ग्रामीणों में उनकी सडक़ पर प्रशासन द्वारा ध्यान नहीं देने के कारण खासी नाराजगी है, गांव के पूर्व उपसरपंच बीरसाय का कहना है कि उन्होनें हर कही जाकर आवेदन दिया, छोटी सी सडक़ के लिए प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।
वहीं ग्रामीण राम का कहना है कि सडक़ हमारे गांव के लिए बेहद जरूरी थी, और इसमें बड़े बड़े गड्ढे हो चुके थे, हर कहीं दरवाजा खटखटाया परन्तु हम लोगों की परेशानी पर किसी का ध्यान नही था, इसलिए गांव ने सामुहिक निर्णय लिया और सडक़ का निर्माण किया।
इसके अलावा सनील, धीरज साय, विजय कुमार का कहना है कि चुनाव के समय नेता मंत्री बडे बड़े दावे करने आते है परन्तु सिर्फ दिखावा रहता है, हमारे छोटी सी जरूरत के लिए कोई काम नहीं आया, दादा पुरखों के समय से यह सडक़ से हमारा निस्तार होता आया है, इसलिए हमने मिलकर सडक़ का निर्माण कर दिया।