कोरिया

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर(कोरिया), 8 अगस्त। कोरिया जिले के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जगदीश प्रसाद नामदेव को सिविल लाइन स्थित मूर्ति पर माल्यार्पण कर याद किया गया।
8 अगस्त 1912 को गोविन्दगढ़ में जन्मे जगदीश प्रसाद नामदेव सरगुजा क्षेत्र के गिने-चुने स्वंत्रता संग्राम सेनानियों में से एक रहे है । स्वतंत्रता के समर में जब युवाओं ने जिम्मेदारियां अपने कंधे पर ली, तो जगदीश प्रसाद को इस क्षेत्र में स्वतंत्रता का अलख जगाने की जिम्मेदारी मिली। करीब 25 वर्ष की उम्र में जगदीश जी अपना घर-द्वार छोडक़र धीरे धीरे लोगों को संगठित करते चले गए, तब भारत छोड़ो आंदोलन चरम पर था, उस समय तिरंगा झंडा घरों में लगाने, लेकर साथ चलने पर ही लोगों को जेल भेज दिया जाता था, ऐसे समय में इस क्षेत्र में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लोगों को संगठित कर जगदीश जी के नेतृत्व में कई बार रेल रोका गया, कोयला खदानों को बंद कराया गया। बैकुंठपुर के मुख्य चौक पर धरना प्रदर्शन, हड़तालें और ब्रिटिश शासन की संपत्तियों पर तोडफ़ोड़ की कार्यवाहियों के जरिए लगातार आंदोलन चलाया गया। उनके आंदोलन में युवा, कृषक, मजदूर सभी वर्ग के लोगों ने बखूबी साथ दिया। यही वजह थी कि कई बार श्री नामदेव को जेल जाना पड़ा, बावजूद इसके उनके उत्साह में कोई कमी नहीं थी, देश आजाद होने के साथ ही जगदीश प्रसाद जी का वो सपना भी पूरा हुआ।
स्वतंत्रता के समर में जगदीश प्रसाद के योगदान को देखते हुए ही पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने उनको ताम्रपत्र से सम्मानित किया था। 18 मार्च 1993 को इसी बैकुण्ठपुर में जगदीश प्रसाद नामदेव ने अंतिम सांस ली और पंचतत्व में विलीन हो गए।