बिलासपुर
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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 11 अगस्त। केंद्रीय संस्थान में अधिकारी पति के खिलाफ दिए गए फैमिली कोर्ट के फैसले को पलटते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि पति पर अपनी ही मां के साथ अवैध संबंध का आरोप लगाया जाना क्रूरता की श्रेणी में आता है।
मामला बलौदा बाजार जिले का है। केंद्र सरकार के अधीन एक संस्था के अधिकारी युवक की भिलाई में रहने वाली एक युवती से सन् 2011 में शादी हुई थी। वे बाद में दुर्गापुर शिफ्ट हो गए थे। पत्नी वहां अपना जॉब छोडक़र केमिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी करने लगी। इस दौरान दोनों के बीच संबंध बिगड़ गए। इस पर पति ने परिवार न्यायालय में तलाक की मांग करते हुए अर्जी लगाई। कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी।
इसके विरुद्ध पति ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई, जिसकी सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई। सुनवाई के दौरान साफ हुआ कि पत्नी ने पति पर अपनी मां के साथ अवैध संबंध होने तथा ससुर पर बुरी नीयत रखने का आरोप लगाया था। उसने पति के खिलाफ दहेज प्रताडऩा का केस भी दर्ज कराया था। पत्नी ने पति के आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि शादी के बाद जब वह नौकरी करती थी तब ससुराल वाले उसका पूरा वेतन रख लेते थे और उसे प्रताडि़त करते थे। उसने जो आरोप लगाए थे, वह क्षणिक आवेश में था।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि महिला का अपने पति पर मां के साथ अवैध संबंध रखने का गलत आरोप यह कहकर दरकिनार नहीं किया जा सकता कि वह क्षणिक आवेश में लगाए गए हैं। ऐसा आरोप कू्ररता की श्रेणी में आता है। पति की याचिका को मंजूर करते हुए कोर्ट ने उसकी आमदनी का आकलन करने के बाद पत्नी को हर माह 35 हजार रुपए भरण पोषण के लिए देने कहा है।