कोरिया

चंद्रकांत पारगीर
बैकुंठपुर(कोरिया), 21 अगस्त (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। भाजपा में सरगुजा संभाग की 14 सीटों में से 5 सीट की घोषणा कर दी है। ज्यादातर चेहरे एकदम नए हैं, तय है कि बची सीट पर भी नए चेहरों पर भाजपा दांव खेलेगी, बैकुंठपुर विधानसभा में भी यदि भाजपा इसी फॉर्मूले पर काम करती है तो भाजपा को जीत की संजीवनी मिलने से कोई नहीं रोक सकता है।
चुनावी माहौल शुरू हो चुका है, संभाग की 5 सीट पर भाजपा के ऐलान के बाद बैकुंठपुर विधानसभा में भी नए चेहरे को लेकर चर्चा हर कहीं आम हो गई है। दरअसल, हारे नेताओं के प्रति 50 प्रतिशत नकारात्मकता होती है, और नए चेहरे के प्रति किसी प्रकार पूर्वाग्रह भी नहीं होता है, चुनाव में इसका बड़ा फर्क पड़ता है, हर चुनाव में 10 प्रतिशत भटकते मतदाता होते हैं, जो किसी पार्टी के नहीं होते, जो चुनाव को प्रभावित करते है, ऐसे मतदाता नए चेहरे पर उनकी छवि और प्रचार प्रसार के तामझाम को देखकर आसानी से आकर्षित हो जाते और परिणामो को किसी भी दिशा में मोड़ सकते हैं।
शासकीय कर्मचारी, पहली बार वोट करने वाला मतदाता इसी श्रेणी में आते हंै। भाजपा इसी रणनीति पर काम कर रही है और उन्हें साधने में जुटी हुई है। बैकुंठपुर विधानसभा में भी भाजपा इस रणनीति पर काम कर सकती है।
संगठन में थी नाराजगी
बैकुंठपुर विधानसभा में बीते लंबे समय से भाजपा के संगठन में जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं की अनदेखी की गई, सत्ता के समय उन्हें वो सम्मान नहीं मिला, जिसे लेकर अब तक संगठन के अंदरखाने नाराजगी है, पर कोई सामने नहीं आता, वहीं यदि भाजपा नए चेहरे को मौका देती है तो निश्चित तौर पर भाजपा को जीत मिलने की पूरी संभावना है। भाजपा के सत्ता ले समय ज्यादा तर विकास कार्य कांग्रेसियों ने किया, भाजपाई हाथ मलते रह गए थे।
हेलीकॉप्टर में घुमाया वो अब कांग्रेस का दावेदार
2018 में भाजपा की हार का प्रमुख कारण था, भाजपा संगठन में नाराजगी। पूरे 5 साल हुआ ये की भाजपा के लोगों की अनदेखी कर कांग्रेसियों को महत्व दिया गया। वर्तमान में कांग्रेसी नेता रामधन देवांगन जो अब कांग्रेस की ओर से बैकुंठपुर विधानसभा के दावेदार हंै, उनको पूर्व मंत्री कई बार हेलीकॉप्टर में लेकर उड़े, परंतु भाजपा के कार्यकर्ताओं को हेलीकॉप्टर नसीब नहीं हुआ, इस तरह भाजपा के जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं की नाराजगी भाजपा को 2018 के चुनाव में भारी पड़ी।
सामाजिक नाराजगी
भाजपा से कई समाज के लोग नाराज रहे, 2018 में ये बड़ा चुनावी मुद्दा बना, नाराज लोगों को उन्हें गलत साबित करने कई हथकंडे अपनाए गए, परंतु उन्हें वोट में तब्दील नहीं कर पाए, इसमें कई समाज के साथ कई ऐसे संगठन भी शामिल रहे, जो निजी तौर पर भाजपा के खिलाफ रहे। जिसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा। परंतु यदि नए चेहरे पर भाजपा दांव लगाती है तो इनकी नाराजगी कम होने की पूरी संभावना है।
बयानों से सरकार की किरकिरी
बैकुंठपुर विधानसभा में भाजपा नेताओं के बयानों से काफी किरकिरी हुई है, सत्ता के समय भी और विपक्ष के समय भी, कई तरह के समाज के साथ यूपी-बिहार के लोगो के बारे के भी अनाप-शनाप बयान सामने आए थे, जो अब आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को खासा नुकसान पहुंचा सकते हैं, बैकुंठपुर विधानसभा चुनाव में काफी संख्या में यूपी-बिहार के मतदाता हैं, उनकी नाराजगी को लेकर भाजपा ने अभी तक कुछ नहीं किया है, पर यदि भाजपा नए चेहरे पर दांव खेलती है तो उसे उसका लाभ मिल सकता है।