महासमुन्द

चन्द्रहासिनी समूह की महिलाएं बना रहीं गणपति की मूर्तियां
14-Sep-2023 3:09 PM
चन्द्रहासिनी समूह की महिलाएं बना रहीं गणपति की मूर्तियां

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद,14 सितंबर। महासमुंद जिले की महिला समूहों ने अपने हुनर और मेहनत से एक नई पहचान बनाई है। जिले में चाहे एलईडी बल्ब का निर्माण हो, फेंसिंग तार जाली का निर्माण हो, फ्लाई ऐश ईंट या गोबर पेंट का निर्माण हो या खाद्य सामग्री का निर्माण हो। सब में उच्च गुणवत्ता और मानकों का ध्यान रखते हुए एक सफल उद्यमी के रूप में अपना नाम दर्ज करा रही हैं। अभी हाल ही में रक्षाबंधन के अवसर पर महिला समूहों ने कम कीमत पर आकर्षक राखियां बनाकर अपने हुनर से सबको परिचित कराया था।

जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में अब महिलाएं गणपति की मूर्तियां बना रहीं हैंं। चूंकि सामने गणेश चतुर्थी का त्यौहार है। ऐसे समय पर समूह की महिलाओं ने इसे एक अवसर के रूप में मानते हुए में गणेश र्मूिर्तयों का निर्माण शुरू किया है।

महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क गोड़बहाल से जुडक़र मां चन्द्रहसिनी महिला समूह की महिलाएं विभिन्न आकार और रंगों का समावेश कर आकर्षक गणेश मूर्तियों का निर्माण कर रही हैं। यह महिला समूह पहले माटी कला कार्य से जुडक़र कार्य कर रही थीं। अब रीपा योजना के पश्चात इन्हें ज्यादा संसाधन और अवसर मिला। इस बार समूह की दीदियों द्वारा बनाई गई गणेश मूर्तियां घरों और पंडालों में विराजेंगी।

समूह की अध्यक्ष नीरा निषाद कहती है-हमने लगभग 500 गणेश मूर्तियों का निर्माण किया है। अंतिम तैयारी जारी है। एक पहला खेप अभी अभी बाजार में उतर गया है। जिसे अच्छा प्रतिसाद मिला है। इस बार गणेश मूर्तियों के बिकने से करीब 1 लाख रुपए आय होने की उम्मीद है।

उन्होंने बताया कि उनके पास विभिन्न आकार में 200 से लेकर 4000 रुपए तक का गणेश की मूर्तियां उपलब्ध है। सारी मूर्तियां  विभिन्न रंगों और आकर्षक तरीके से बनाए गए हैं। रीपा योजना से जुडऩे के पहले सभी सदस्य खेतीहर मजदूरी व माटी कला से जुड़े कार्य करते थे। माटी कला कार्य के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं था तथा सतत आय का भी जरिया नहीं था। अब रीपा अंतर्गत अपनी रुचिकर और परंपरागत कार्य करने में हमें खुशी के साथ साथ आत्मनिर्भर होने का अनुभव भी होता है।

उन्होंने बताया कि समूह में 10 महिलाएं हैं। रीपा योजना लागू होने के बाद चंद्रहासिनी स्व सहायता समूह द्वारा माटी कला का कार्य किया जा रहा है। बाजार व्यवस्था के रीपा एवं स्थानीय बाजार में माटी कला गतिविधि से प्रतिमाह लगभग 8 हजार रुपए की आमदनी हो जाती है। अब तक माटी कला कार्य से समूह को खर्च काटकर लगभग 3 लाख रुपए की आमदनी हो चुकी है। समूह की सभी सदस्यों ने इसके लिए  राज्य शासन को धन्यवाद ज्ञापित किया है।

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