महासमुन्द

किसी को नहीं पहुंचाया नुकसान
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 14 सितंबर। समीप के ग्राम ठाकुरदिया खुर्द में एक भालू प्रतिदिन एक ग्रामीण के घर को निशाना बनाता है और उस घर की रसोई में घुस कर तेल घी आदि पीने के बाद पका खाना भी खाकर आराम से टहलते हुए जंगल की ओर चला जाता है। उक्त भालू का व्यवहार पालतू या घर के किसी सदस्य के रूप में दिखाई देता है।
जिस तरह वन्य प्राणियों के रहवास जंगल मे मानव हस्तक्षेप के कारण प्राणियों को उनका मनपसंद खाना नसीब नहीं हो रहा। अब कुछ इसी तरह के दिन ग्रामीणों को भी देखने मिल रहे है।
नगर से करीब 6 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम ठाकुरदिया खुर्द के समीप स्थित पहाड़ी के एक भालू ने ग्राम ठाकुर दिया खुर्द के ग्रामीणों को परेशान कर रखा है। ग्रामीण बताते हंै कि ठाकुरदिया खुर्द सहित आश्रित ग्राम टाडा पारा एवम खपराखोल के ग्रामीणों के बीच यह भालू खासा चर्चा में है।
ग्राम के प्यारीलाल नायक एवं श्याम कुमार साहू ने उक्त सम्बन्ध में बताया कि एक भालू शाम दिन ढलते ही ग्राम में प्रवेश कर जाता है और बकायदा मुख्य द्वार से ही घर मे प्रवेश कर सीधे रसोईघर में प्रवेश करता है और रसोई से पका खाना तेल आलू प्याज दाल आराम से खा जाता है। इसके बाद रसोई में तेल ढूंढकर तेल भी पी जाता है।
पालतू की तरह व्यवहार
एक पालतू वन्य प्राणी भी किसी अनजान व्यक्ति को देखकर हमला करता है, परन्तु उक्त भालू किसी भी ग्रामीण पर हमला नहीं करता बल्कि खा पीकर आराम से वापस पहाड़ी की ओर चला जाता है।यदि कोई ग्रामीण उसे भगाने के लिए एक लाठी दिखाए तब भी भालू लाठी से डरने की बजाए आराम से पहाड़ी की ओर जाने लगता है।
ज्ञात हो कि ग्राम ठाकुरदिया खुर्द, खपराखोल एवम टाडा पारा के गोपाल नायक, श्यामलाल नायक, अमृत मांझी एवम बैध गोंड के यहां रसोई में रखा पका खाना, तेल घी प्याज और चावल खा कर जा चुका है। भालू के इस तरह के आतंक से ग्रामीण अब अपनी रसोई में ताला लगाने लगे है। परन्तु भालू भी ग्रामीणों के घर की तलासी में माहिर हो गया है।
ठाकुरदिया पहाड़ी के भालू हिंसक
वन विभाग के सेवानिवृत्त डिप्टी रेंजर आर एस ठाकुर से इस सम्बंध में चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि ठाकुर दिया अरण्ड क्षेत्र के पास स्थित पहाड़ी में रहने वाले भालू हिंसक है।यहां लंबे समय से भालुओं के हमले की घटनाएं होती रही है। परन्तु इस घटना से लगता है कि रसोई में घुसने वाला भालू पालतू भी हो सकता है। या भालू भी अब समझ चुके हंै कि मानव उनको मार नहीं सकते इसलिए ये बेख़ौफ़ ग्रामीणों के सामने घरों में घुस कर राशन खा कर वापस पहाड़ी में भी चला जाता है।
श्री ठाकुर ने बताया कि जंगल मे वन्य प्राणियों की पसंद के फल फूल तोडऩे की परंपरा बढऩे के कारण भालू को खाद्य नहीं मिल पा रहा है जिससे उन्हें नमक की आवश्यकता महसूस होती है इसी नमक की पूर्ति के लिए ये भालू मंदिरों तक पहुचने लगे थे अब वे ग्रामीणों की रसोई तक भी पहुंचने लगे हैं।
पिंजरा लगाया गया है— तांडे
इधर, प्रभारी वन परिक्षेत्र अधिकारी प्रत्यूष कुमार तांडे ने बताया कि ग्रामीणों की शिकायत पर भालू को पकडऩे माह भर से ग्राम में पिंजरा लगाया गया है। परन्तु पिंजरे की ओर भालू कभी नहीं आता। वैसे नुकसान की खबरे ही आई है। जनहानि की कोई खबर नहीं मिली है। लिहाजा ग्रामीणों को भालू द्वारा पहुंचाये गए नुकसान का मुआवजा दिया जाएगा।