महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 18 सितंबर। महासमुंद जिले में बागबाहरा में लगातार शासकीय जमीनों पर अतिक्रमण कर खरीद-फ रोख्त जारी है। स्टाम्प में लिखा-पढ़ी व नोटरी के भरोसे शासकीय भूमि को बेचा जा रहा है। अतिक्रमणकारी नगर की बेशकीमती जमीनों पर कब्जा जमाए बैठे हैं और शासन को विकास व निर्माण कार्यों के लिए जगह नहीं मिल रही है। बहुत से स्थानों पर जानकारी होने के बाद भी अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं।
ऐसे ही एक खबर एनएच-353 पर दारगांव के पहनं 50 में स्थित भूमि खसरा क्रमांक.436 रकबा 3.08 हेक्टेयर शासकीय भूमि का है। इस जमीन को अतिक्रमण कर छोटे-छोटे टुकड़ों में बेचा जा रहा है। यहां निर्माण कार्य भी कराया जा रहा है। शिकायत के आधार पर 26 नवम्बर 2021 को बागबाहरा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व ने निर्माण कार्य पर स्थगन आदेश जारी किया था। लेकिन इस स्थगन आदेश को दरकिनार कर इस शासकीय जमीन को बेचने व निर्माण कार्य जारी है।
विभागीय जानकारी के मुताबिक अगस्त माह में इसी भूमि पर स्थगन आदेश के बावजूद चार दुकानेें निकाल ली गई हैं। बीते 2 अगस्त को ढलाई के लिए सेट्रिंग की गई और 11 अगस्त तक ढ़लाई भी हो गई। मजे की बात यह है कि इसी रास्ते से अनुविभागीय राजस्व अधिकारी का आना-जाना है।
सरकारी जमीन पर अवैध अतिक्रमण के मामले में एसडीएम श्रृष्टि चंद्राकर का कहना है कि इस शासकीय जमीन पर हुए अतिक्रमण व निर्माण कार्यों के बारे में मुझे जानकारी नहीं है। पटवारी को भेजकर जानकारी लेती हूं। नगर की शासकीय जमीनों पर हो रहे अतिक्रमण के लिए जागरूक लोगों ने इसकी शिकायत तहसील कार्यालय, राजस्व अधिकारी सहित मुख्य नगर पालिका अधिकारी से की है। लेकिन उनकी शिकायतों की सुनवाई नहीं की गई है।