बेमेतरा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 18 सितंबर। जिला मुख्यलय से महज 7 किलोमीटर दूर रजकुडी गांव में अभी तक प्रशासनिक अमला नहीं पहुंच पाया है। अधिकारी हालत को देखते हुए पूर्व में नाला से ही वापस लौट गए थे। ग्रामीणों ने सोशल मीडिया के माध्यम से प्रशासन से बार-बार गुहार लगाई है। गांव के लोग ही विपदा के समय में एक दूसरे की मदद कर समय गुजार रहे हैं। बाढ़ की वजह से गांव में करीब 10 घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
गांव में कुछ ग्रामीण बीमार हालत में हैं, जिन्हें राहत व उपचार की जरूरत है। बता दें कि ग्राम रजकुड़ी 15 से 17 सितंबर तक बाढ़ की वजह से जिला मुख्यालय व अन्य गांवों से कट चुका है। ग्रामीण केवल फोन व सोशल मीडिया के माध्यम से ही बाहर के लोगों से संपर्क साध रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि सोशल मीडिया के माध्यम से 16 सिंतबर को प्रशासन से मदद के लिए गुहार लगाई गई, जिसे अनसुना किया जा रहा है। गांव के अंदर ही तीन फुट से अधिक तक जलभराव रहा है। हालत ये है कि गांव के लोगों ने दूसरे के यहां पर पनाह ली है।
कई लोगों का घर क्षतिग्रस्त हुआ
करूवा नाला की सरहद में बसे इस गांव में दीगर गावों की अपेक्षा अधिक विकट स्थिति है। तीन दिनों के दौरान करीब 10 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं। वहीं कुछ घर गिर चुके हैं। संरपंच प्रतिनिधि दिलीप मांडले ने बताया कि गांव में पेमन सिंह चर्मा, शत्रुहन वर्मा, रतिराम निषाद, बिसाल राम साहू, रजौतिन बाई, का मकान क्षतिग्रस्त हुआ है। घासीराम चौहान , ननकी बाई सारथी का मकान भी क्षतिग्रस्त हुआ है। पेमन वर्मा ने बताया कि उसका और उसके भाई का भी घर क्षतिग्रस्त हुआ है। कुछ लोगों के घरों के दीवार गिर गए हैं।
गांव नहीं जा पा रहे, ना ही कोई गांव से बाहर जा पा रहा
टागेश्वर चौहान के परिवार को डायलिसिस के लिए शनिवार को जाना था पर नहीं जा सके। रायपुर से ग्राम रजकुड़ी में अपने परिवार के बीमार सदस्य से मिलने आने वाले मनहरण साहू व साथ में आई महिला मुन्नी साहू ने बताया कि रजकुड़ी में अपने परिवार के बीमार परिजन को देखने जाना है पर बाढ़ कम होने का इंतजार कर रही हैं। बता दें कि ग्राम रजकुडी जाने के लिए तीन मार्ग हैं, जिसमें से जिला मुख्यालय से सीधा मार्ग ग्राम खिलोरा होते हुए है। वहीं मोहलाई से रजकुडी आने का मार्ग व ग्राम भिनपुरी से रजकुडी आने का मार्ग, पर तीनों रास्ते बाढ़ की वजह से बाधित हो गए हैं।
निधन होने पर दूर जाकर अंतिम संस्कार करना पड़ा
गांव में बुजुर्ग महिला की मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए निर्धारित मुक्तिधाम के जलमग्न होने के कारण परिजनों ने गांव से 1.5 किलोमीटर दूर संडी रोड में मृतका के खेत में विधि विधान से अंतिम संस्कार किया।
हमें तेंलाईकुड़ा चौक से लौटना पड़ा - तहसीलदार बंजारे
तहसीलदार परमानंद बंजारे ने बताया कि शनिवार को अमला गांव के लिए रवाना हुआ था पर गांव नहीं पहुच पाया। गांव के लोगों को किसी तरह तेलाईकुड़ा चौक बुलाया फिर उनसे गांव की स्थिति का पता चला, जिसके बाद टीम लौट गई।