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महासमुंद के चौक-चौराहे, घर-घर में विराज रहे विध्नहर्ता, तैयारियां पूरी
19-Sep-2023 9:21 PM
महासमुंद के चौक-चौराहे, घर-घर में विराज रहे विध्नहर्ता, तैयारियां पूरी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद, 19 सितंबर। जिले में आज विघ्नहर्ता भगवान गणेश घर-घर विराज रहे हैं। महासमुंद शहर के मुख्य चौक-चौराहों में तैयारियां अंतिम चरण पर हैं। शहर के हाईस्कूल मैदान में गणेश प्रतिमाओं की बिक्री के लिए दुकानें सजी हैं। कल सोमवार से ही लोग अपने घरों के लिए प्रतिमा ले जाते हुए नजर आए। नगर पुरोहित पंकज तिवारी ने बताया कि गणेश चतुर्थी आज मंगलवार को पडऩे के कारण सर्व कामना योग बन रहा है। यह योग अत्यंत लाभकारी होता है।

मालूम हो कि हिंदू धर्म के अनुसार भगवान गणेश की उपासना का विशेष महत्व है। विघ्नहर्ता भगवान गणेश प्रथम पूजनीय देवता हैं। मान्यता है कि भगवान गणेश की उपासना करने से सुख, समृद्धि, बुद्धि व बल आदि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। लिहाजा हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाता है। गणपति बप्पा को लोग ढोल-नगाड़ों के साथ लाते हैं और उन्हें स्थापित कर विधि.विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। 11 दिनों के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन उन्हें विदा किया जाता है।

गणेश चतुर्थी को लेकर शहर के चौक-चौराहों और गली-मोहल्लों से लेकर ग्रामीण अंचलों में तैयारियां शुरू हो गई हैं। गणेशोत्सव के लिए समितियों ने आकर्षक और भव्य पंडाल बनाने शुरू किए थे जो अंतिम चरण में है। महासमुंद शहर के गंजपारा, बाजार वार्ड में भगवान गणेश की प्रतिमा और साज-सज्जा मुख्य आकर्षण का केन्द्र होती है।

इसके अलावा लोहिया चौक, शास्त्री चौक में भी तैयारियां लगभग पूरी हो गई है। गंजपारा में प्रतिमा भी आ चुकी है। आज विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर प्रतिमा आज मध्याह्नकाल में स्थापित होंगी। पंडितों के अनुसार गणेश जी का जन्म भादौ की चतुर्थी को दिन के दूसरे प्रहर में हुआ था। उस दिन स्वाति नक्षत्र और अभिजीत मुहूर्त था। इन्हीं तिथि, वार और नक्षत्र के संयोग में मध्याह्न यानी दोपहर में जब सूर्य ठीक सिर के ऊपर होता है, तब देवी पार्वती ने गणपति की मूर्ति बनाई और उसमें भगवान शिव ने प्राण डाले थे। इसलिए दोपहर में ही भगवान गणेश की स्थापना और पूजा शुभ माना जाता है।

मालूम हो कि शहर के कुम्हारपारा में सबसे अधिक भगवान गणेश व माता दुर्गा की प्रतिमा बनाई जाती है। यहां से प्रतिमाएं शहर सहित ग्रामीण अंचलों और अन्य जिलों में भी भेजी जाती हैं। मूर्तिकार राजेश चक्रधारी ने बताया कि उनके पास सबसे बड़ी प्रतिमा 12 फीट की है। शहर के कुछ स्थानों में बाहर से प्रतिमाएं लाई जाती है।

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