गरियाबंद

संतों की त्याग, तपस्या और पवित्रता के कारण ही आज भारत को विश्व गुरु मानते हैं-ब्रहमाकुमार रामनाथ भाई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम। नवापारा राजिम में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के तत्वावधान में विराट संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें देशभर से साधु-संतों और महामंडलेश्वरों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। सभी संतों ने एक स्वर में भारत को स्वर्णिम बनाने और विश्व में शांति स्थापना के लिए संकल्प लिया। संतों ने जीवन में आध्यात्म की पुर्नस्थापना के लिए ब्रह्माकुमारीज संस्थान के प्रयासों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की।
संत समागम के पूर्व संतों ने राजिम केंद्र में ग्लोबल पीस हॉल का उद्घाटन किया। राजिम में संतों की शोभायात्रा निकाली गई। राजिम के निवासियों ने साधु-संतों व महामंडलेश्वरों का दर्शन किया और पूजा अर्चना की। विराट संत समागम के विषय इंदौर से आए ब्रह्माकुमार नारायण भाई ने प्रकाश डाला। कहा कि पहली बार ब्रहमाकुमारीज ने अपने स्तर पर यह कार्यक्रम किया। उन्होंने कहा कि संतों की सेवा करनी है। इसी लक्ष्य को लेकर हमारे रामनाथ भाई की प्रेरणा से यह संत सम्मेलन आज प्रैक्टिकल स्परूप दिखाई दे रहा है।
माउंट आबू से पधारे ब्रहमाकुमार रामनाथ भाई ने कहा कि संतों की त्याग, तपस्या और पवित्रता के कारण ही आज भारत को विश्व गुरु मानते हैं। कहा कि यदि जीवन में उन्नति चाहते तो केवल पांच सेकेंड ब्रहमाकुमारीज में राजयोग सीखो।
गोवर्धनशरण महाराज ने कहा कि सबका उद्देश्य है सनातन आगे बढ़े। सनातन सुदृढ़ हो। वसुधैव कुटुम्बकम का भाव हम सबमें जागृत हो। यही हम सबका भाव है। इसी भाव को लेकर आगे बढ़ते रहना है। महंत रामसुंदर दास महाराज ने कहा कि आज बहुत ही सुखद अवसर है कि आध्यात्मिक चिंतन करने के लिए ब्रह्माकुमारीज की नवापारा आश्रम में हम सब उपस्थित हैं। हम लोग अपने आपको सनातनी कहते हैं। भारतीय संस्कृति सनातन धर्म कहा जाता है। इस सनातन से कोई अलग नहीं है।
जोधपुर से पधारे महामंडलेश्वर डॉ. शिवस्वरूपानंद ने कहा कि भगवान की साक्षात वाणी का एक ग्रंथ गीता, दूसरा कोई ग्रंथ नहीं है। इसलिए हमको इन चीजों पर सचेत रहना पड़ेगा। लोग हमारे बारे में क्या सोचते हैं, इससे हमें कोई असर नहीं पड़ता। छत्तीसगढ़ योग आयोग के अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा जी ने कहा कि वास्तव में इस समय संत समागम की आवश्यकता है। आज मनुष्य आपाधापी के चलते शांति व सौहाद्र को खो चुका है। ऐसे विकट समय में यदि ऐसे संत समागम का आयोजन होता है तो संतों की वाणी से प्रभु से मिलने व उनके प्रति ध्यान करने का अवसर मिल जाए, तो आज के समय में बहुत बड़ी बात है।
पूर्व कैबिनेट मंत्री व विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से मैं पिछले 40 सालों से जुड़ा हूं। रायपुर में इसकी स्थापना के समय से ही हमारे पिता जी ने नींव रखी थीं। ब्रह्माकुमारीज राजयोग के माध्यम से लोगों के जीवन में सुख समृद्धि और सदाचार लाने का प्रयास कर रहा है। आज की आवश्यकता है लोग धर्म-अध्यात्म का अर्थ नहीं जानते हैं। जबकि कहते हैं कि धर्म या आध्यात्म के बिना क्या जीवन सार्थक हो सकता है क्या? धर्म और आध्यात्म पूजा पदधति का नहीं जीवन जीने की पद्धति का नाम है। हमको सुख, शांति, सदाचार मिले, हम सुखमय जीवन जी सकें। आज के जीवन में कोई भी सुखी नहीं है। सुख पाने का एक रास्ता ब्रह्माकुमारीज के मेडिटेशन के माध्यम से मिलता है। किस प्रकार हम अपने विकारों से दूर हो सकते हैं, ये हमको राजयोग सिखलाता है। कार्यक्रम को राजयोगिनी बीके पुष्पा दीदी, बीके आरती दीदी, आचार्य श्रीवत्म महाराज, रुद्रानंद प्रचंड वेगनाथ महाराज ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमारी राजेश्वरी दीदी ने किया।