बलौदा बाजार

बलौदाबाजार, 27 सितंबर। जिला मुख्यालय में प्रत्येक वर्ष विभिन्न वार्ड मोहल्लों में श्रीगणेश एवं मां दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना की जाती है, परंतु इन प्रतिमाओं के विसर्जन हेतु प्रशासन द्वारा कोई निर्धारित योजना नहीं बनाए जाने के चलते लगातार तीन-चार दिनों तक विभिन्न स्थानों की प्रतिमाओं का विसर्जन जारी रहता है। कई अवसर पर देर रात तक तेज डीजे की धुन पर विसर्जन के चलते आम जनों को हलाकान होना पड़ता है।
वहीं पुलिस प्रशासन को भी सुरक्षा की पुष्टि से जवानों की मुस्तादी सतत करना पड़ता है।
गौरतलब है कि राजधानी रायपुर के अलावा अन्य कई शहरों एवं स्थान पर प्रतिमा विसर्जन हेतु दिन वह स्थान निर्धारित कर विसर्जन का कार्य किया जाता है। जिसमें समितियां द्वारा आकर्षक झांकियां भी प्रस्तुत किया जाता है।जिसका श्रद्धालुओं द्वारा भरपूर लुफ्त उठाया जाता है। अरसे पर से पूर्व नगर में भी गणेश प्रतिमा एवं झांकी विसर्जन हेतु एक ही दिवस तय कर उत्कृष्ट झांकियां को भी पुरस्कृत किया जाता था। परंतु समय के साथ यह परंपरा भी बंद हो गई। जिसके बाद विसर्जन हेतु कोई तिथि निर्धारित नहीं होने के चलते अब विसर्जन का कार्य तीन-चार दिनों तक जारी रहता है।
कई अवसर पर इस वजह से रात्रि के दौरान लोगों को आवागमन में अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ता है। जबकि लगातार तीन-चार दिनों तक तेज डीजे की धुन व सडक़ पर विसर्जन के दौरान जाम की स्थिति निर्मित होती रहती है। यदि जिला व नगर पालिका प्रशासन इस दिशा में पहल करें तो विसर्जन एक ही दिवस व निर्धारित तालाब नदी में किया जा सकेगा। जिससे विसर्जन के दौरान कुछ स्थानों पर होने वाले विवादों पर भी रोक लगा सकेगी और पुलिस के लिए कानून व्यवस्था की स्थिति भी सुगम होगी।
तालाबों के अस्तित्व को बचाने भी पहल करनी चाहिए
पुरानी परंपरा व मान्यता के अनुरूप आज भी बहुत से मोहल्ले में स्थापित प्रतिमाओं एवं पूजन सामग्री का विसर्जन नगर के सार्वजनिक तालाबों में किया जाता है। पूर्व से ही गंदगी व कीचड़ से भरे तालाबों में विसर्जन के बाद पानी पर मूर्तियों के अवशेष तैरते रहते हैं। जिस तालाब के पर्यावरण को भी क्षति पहुंचती है।करीब तीन-चार वर्षो पूर्व पुलिस व नगर पालिका प्रशासन द्वारा नगर के खोरसी नाल में प्रतिमा विसर्जन के कार्य हेतु पहल भी किया था जिसका सकारात्मक परिणाम भी दिखाई दिया। और बहुत सी प्रतिमाओं का विसर्जन यहां किया गया जिसकी नगर में सराहना भी की गई थी। यदि रायपुर महादेव घाट की तर्ज पर खोरसी नाल में भी कुंड निर्मित कर यहां प्रतिमा विसर्जन की पहल प्रशासन द्वारा किया जाए तो निश्चित ही तालाबों की स्वच्छता की दृष्टि से भी यह सार्थक कदम साबित होगा।