गरियाबंद

ईमारती व काष्ठ विदोहन की सही विधि पर कार्यशाला व प्रशिक्षण
29-Sep-2023 2:43 PM
 ईमारती व काष्ठ विदोहन की सही विधि पर कार्यशाला व प्रशिक्षण

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 29 सितम्बर।
जंगलों से होने वाले शासकीय कूप कटाई से कैसे पर्यावरण को बेहतर बनाये रखते हुये अच्छे ईमारती काष्ठ प्राप्त किये जा सकें। इस उद्देश्य से पाँच जिलो के वन अधिकारियों की कार्यशाला रायपुर वृत्त के मुख्य वन संरक्षक राजू अगासीमनी भा.व.से. के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुई। 

कार्यशाला में 200 से अधिक वन अधिकारी / कर्मचारियों के साथ लकड़ी खरीदने वाले क्रेताओं को भी आमंत्रित किया गया था उनसे सलाह ली गई कि काष्ठ के मूल्य शासन को अधिक कैसे प्राप्त हो। खास बात यह रही कि गरियाबंद नीलाम हाल के बाद 200 अधिकारी, कर्मचारियों को जंगल ले जाकर आधुनिक मशीनों से काष्ठ विदोहन की सही विधी का प्रशिक्षण दिया गया।

उक्त कार्यशाला में प्रमुख रूप से वन संरक्षक सह प्रभारी वनमण्डलाधिकारी गरियाबंद मणीवासगन एस. महासमुन्द से  पंकज राजपूत, धमतरी से श्रीमति शमा फारूकी, बिरगुड़ी से  एस. एस. नाविक, उपवनमण्डलाधिकारी गरियाबंद  मनोज चन्द्राकर, राजिम से  उदय सिंह ठाकुर, देवभोग से  राजेन्द्र कुमार सोरी, बलौदाबाजार से  गोविन्द सिंह, उपस्थित रहे।

वन विभाग के नीलाम कक्ष में वृत स्तरीय कार्यशाला में रायपुर वृत्त के मुख्य वन संरक्षक राजू अगासीमनी भा.व.से. ने वन अधिकारियों तथा कर्मचारियों को कूप विदोहन, लागिंग प्लान एवं अभिलेख संधारण कार्य के बारे में विस्तार से जानकारी दी कैसे काष्ठ का कम से कम नुकसान हो और उपयोगी ईमारती काष्ठ प्राप्त हो सके। उन्होंने विदोहन पूर्व कूप / रोपण क्षेत्र का सीमांकन, चिन्हाकन / मार्किंग कार्य, विदोहन योजना तैयार करना, परिवहन समूह का गठन, कटाई व लगुण कार्य, विदोहन से प्राप्त काष्ठ की रिकार्डिंग, थप्पीकरण परिवहन, कूप से डिपो भेजने की विधी काष्ठ का समाधान पत्रक से मिलान, विभिन्न पंजियों (पातन, लगुण थप्पी, निकासी पंजी) से मिलान करने की विधी और इन सभी नियमों के बारे में उपस्थित अधिकारी, कर्मचारियों को विस्तार से जानकारी दी मुख्य वन संरक्षक श्री राजू अगासीमनी भा.व.से. ने काष्ठ खरीदारो को  बाजार मांग के अनुसार उस आकार में काष्ठ को काटने की जानकारी दी जिसमें मूल्य अधिक से अधिक प्राप्त हो सकें।

वन संरक्षक सह प्रभारी वनमण्डलाधिकारी गरियाबंद  मणीवासगन.एस ने वृक्षों के कटाई व लागिंग के संबंध में बताया कि कूप कटाई के साथ यह ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है कि परिवहन समय पर हो तभी लकड़ी का अधिक मूल्य मिल पाता है। चिन्हांकित वृक्षों का विदोहन कुप के एक सिरे से प्रारंभ की जाए, कूप के विभिन्न खण्डों में से किन्ही एक खण्ड में कटाई काय प्रारंभ कर केवल मार्किंग किये वृक्षों का ही पातन किया जाये वृक्षों की कटाई करने के पूर्व उसके चारों ओर के पौधे ठूंठ पत्थर आदि को आवश्यकतानुसार साफ किया जायें। 
समस्त मार्क शुदा वृक्षों का पातन कुल्हाड़ी से ही किया जायेगा कुल्हाड़ी से इस प्रकार कटाई किया जाए, जिससे ठूंठ की ऊंचाई कम से कम हो तथा जड के पास नीचे वाला लगा मार्किंग हैमर  सुरक्षित दिखाई पड़े।

प्रशिक्षक संयुक्त वनमण्डलाधिकारी  उदय सिंह ठाकुर ने बताया कि वृक्ष कटाई पूर्व वृक्ष का झुकाव किस ओर हैं अवश्य देखें व उस दिशा में यदि खुली जगह मिल रही है, या स्टेन्डर्ड वृक्षों को क्षति पहुंचने की संभावना न हो तो पहला निचला कट (फेलिंग शिंक) उसी ओर दें ताकि तने के व्यास का लगभग एक तिहाई गहरा हो। लगुण निर्माण का काय आरा, बोसा से ही कराया जाएगा। सागौन, तिन्सा, बीजा, शीशम, हल्दू, मुंडी, खम्हार, कराई, सलई, मोयन के यथा संभव सीधे लठ्ठे बनाय जाए उक्त ईमारती प्रजातियों के लट्टे की न्यूनतम लम्बाई 60 से.मी. व न्यूनतम गोलाई 41 से. मी. रखी जावे (न्यूनतम मध्य गोलाई सागौन 41 से.मी. शेष प्रजातियां 51 से.मी.) कसई, सलई, मोयन के लिय न्यूनतम गोलाई 51 से.मी रहेगी कूप में सलिहा वृक्षों का पातन, लगुण, निर्माण कार्य माह दिसम्बर तक पूर्ण कर लिया जाये। सलिहा वृक्षों से प्राप्त लट्टे एवं चट्टों का कूप से निर्वतन माह जनवरी अंत तक पूर्ण कर लिया जाना चाहिए क्योंकि इस अवधि तक इनकी अधिकतम कीमत प्राप्त होती है।

इस कार्यशाला के अवसर पर परिक्षेत्र अधिकारी गरियाबंद राजेन्द्र कुमार साहू, पाण्डुका तरूण तिवारी मैनपुर से संजीत मरकाम छुरा से धीरेन्द्र साहू परसुली से दुर्गाप्रसाद दीक्षित, देवपुर बलौदाबाजार से पुष्पेन्द्र कुमार साहू पिथौरा से प्रत्युष कुमार ताण्डे एवं अन्य वन कर्मचारी एवं अधिकारी उपस्थित रहे।

 

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