धमतरी

बारिश होती रही, लोग नाचते-गाते रहे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नगरी, 1 अक्टूबर। स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय सिंगपुर में झमाझम बारिश के बीच मेरी माटी मेरा देश कार्यक्रम का आयोजन लीक से हटकर ऐतिहासिक ढंग से सम्पन्न हुआ।
बूढ़ों से लेकर बच्चों तक ,माताओं से लेकर स्कूली बच्चियों तक में राष्ट्र भक्ति से जुड़े हुए इस कार्यक्रम में जोश देखने को मिला। झमाझम बारिश के बीच सम्पन्न इस कार्यक्रम की खास विशेषता रही कि किसी का जोश ठंडा नहीं पड़ा। लोग देश भक्ति गीतों के साथ-साथ लोक गीत संगीत के साथ आरम्भ से अंत तक नाचते थिरकते रहे। जहाँ एक तरफ बीस महिला स्वसहायता समूह की महिलाएं इस कार्यक्रम में शामिल हुई वहीं बड़ी संख्या में बच्चों के पालक इस कार्यक्रम के साक्षी बने। देश की सांस्कृतिक विरासत की बहुत सारी झांकी भी यहाँ देखने को मिली।
स्कूली बच्चे,शिक्षक तथा माताओं के लिए विशेष ड्रेस कोड तय किया गया था जिसके अंतर्गत स्कूली बालिकाएं पीली, हरी, नीली, लाल साड़ी में नजर आईं, वहीं प्राचार्य से लेकर सभी शिक्षक धोती कुर्ता में नजर आए। महिला शिक्षिकाएं भी गुलाबी रंग के वेशभूषा में नजर आईं। इसके अतिरिक्त यहाँ कुछ बच्चे प्रदेश की धरती को सींचकर अन्न उपजाने वाले किसान की वेशभूषा में, कुछ बच्चे विशेष जन जाति कमार की वेशभूषा में, कुछ बच्चे रावत नृत्य करने वाले रावत की वेशभूषा में तो कुछ बच्चे दक्षिण भारतीय वेशभूषा में तो कुछ बच्चे आदिवासी वेशभूषा में नजर आए।
यही नहीं यहाँ बहुत सारे स्कूली बच्चे भारत माता,महारानी लक्ष्मीबाई,महात्मा गांधी, शहीद भगत सिंह , महिला शिक्षा के लिये समर्पित सावित्री बाई फूले, स्वामी विवेकानन्द ,चन्द्र शेखर आजाद,शहीद वीरनारायण, की वेशभूषा में नजर आए। प्रदेश की पहचान एवं सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने हेतु छतीसगढ़ महतारी की वेशभूषा एवं छत्तीसगढ़ की महिलाओं के परिधान को प्रदर्शित करने वाली बालिकाओं ने तो सबका ध्यान आकर्षित कर लिया।
प्राचार्य ने इस अवसर पर कहा कि जिन देश भक्त वीरों शहीदों, बलिदानियों की बदौलत हमें आजादी मिली उनके जीवन को जानना समझना तथा राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता के लिए उनके बताए हुए मार्ग पर चलते हुए देश को सशक्त बनाना इस कार्यक्रम का उद्देश्य है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सभी की भागीदारी जरूरी है।
रैली में स्कूली बच्चे देश प्रेम एवं देश भक्ति से सम्बंधित नारे लगाते नजर आए। इधर ढोल, नाल, मांदर, मंजीरा, झांझ, खँजड़ी जैसे वाद्य यंत्रों के साथ देश भक्ति के गीत भी गूंज रहे थे। न केवल स्कूली बच्चे अपितु पालक भी देश भक्ति गीत में झूमते नजर आए। छत्तीसगढ़ के सुवा गीत और सुवा नृत्य के साथ स्कूली बालिकाओं के ताल मिलाया वहीं स्कूली लडक़ों ने दोहा बोलकर राउत नाच करते हुए थिरके। करमा नृत्य,रेला पाटा नृत्य ने तो सभी का ध्यान खींच लिया।
रैली के दौरान प्रत्येक घर से मिट्टी एवं चावल का संग्रहण किया गया। गांव से संग्रहित मिट्टी एवं चावल को बड़े कलश में डाला गया। कलश यात्रा का समापन विद्यालय में वापसी के साथ किया गया।