गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 27 नवंबर। बाबू जगजीवन राम वार्ड क्रं 53 देवपुरी स्थित गांधी चौक में राधा रानी महिला समिति के तत्वाधान में आयोजित लगातार तीसरी वर्ष सात दिवसीय श्री मद् भागवत कथा का रविवार को समापन हुआ।
अंतिम दिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा का श्रवण किया, और शाम तीन बजे भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। जिसमें, बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
कथा में आकृति तिवारी ने कथा में कहा कि भगवान का भजन करने वाला, जाप करने वाला कभी निर्धन नहीं हो सकता, सुदामा तो भगवान के मित्र थे,यदि संत नहीं बन सकते तो संतोषी बन जाओ। संतोष सबसे बड़ा धन है।
सुदामा की मित्रता भगवान के साथ नि:स्वार्थ थी। उन्होंने कभी उनसे सुख,साधन या आर्थिक लाभ प्राप्त करने की कामना नहीं की, लेकिन सुदामा की पत्नी द्वारा पोटली में भेजे गए चावलों में भगवान श्रीकृष्ण से सारी हकीकत कह दी और प्रभु ने बिन मांगे ही सुदामा को सब कुछ प्रदान कर दिया।
उन्होंने कहा कि भगवान पर विश्वास और भरोसा मजबूत होना चाहिए। जिस प्रकार माता रुकमणी को अपने कृष्ण पर विश्वास था कि वह आएंगे और उनके मित्र सुदामा को आस्था थी कि मैं भगवान का ध्यान और मनन करता रहूंगी तो मेरे परिवार को वैभव प्राप्त होगा। ईश्वर पर आस्था रखना चाहिए जो भी भक्त ईश्वर पर आस्था और विश्वास करता है उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
आकृति तिवारी ने कहा कि जो व्यक्ति संस्कार युक्त जीवन जीता है वह जीवन में कभी कष्ट नहीं पा सकता।
व्यक्ति के दैनिक दिनचर्या के संबंध में उन्होंने कहा कि ब्रह्म मुहूर्त में उठना, दैनिक कार्यों से निवृत होकर यज्ञ करना, तर्पण करना, प्रतिदिन गाय को रोटी देने के बाद स्वयं भोजन करने वाले व्यक्ति पर ईश्वर सदैव प्रसन्न रहते हैं। श्रीमद् भागवत कथा सुनने वाले के सभी दुख दर्द क्षण में दूर हो जाते हैं। कहा कि हमें श्रीराम और श्रीकृष्ण के बताए मार्ग का अनुसरण अपने जीवन में करना चाहिए। उन्होंने श्रद्धालुओं को धर्म के मार्ग पर चलने की सीख दी। भगवान शंकर पर विश्वास रखे। भक्त के रोम-रोम में जब भक्ति होती है तो कंकर-कंकर शंकर हो जाता है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए महिला मंडल के समितियों द्वारा बताया गया कि कथा के अंतिम दिन मंडल सहित अन्य क्षेत्रवासियों ने भागवत आचार्य सुश्री आकृति तिवारी का भव्य स्वागत किया इसके अलावा शाम को भव्य शोभा यात्रा निकाल कर भंडारे कर समापन किया गया, जिसमें परिक्षित के रूप बुधराम ईश्वरी साहू, भागवत सुरजा साहू सहित सैकड़ों की संख्या में महिलाएं एवं पुरुष सहित गणमान्य नागरिक गण शामिल हुए।