बलौदा बाजार
अब तक 25 हजार से भी ज्यादा मजदूर जा चुके, इसमें से कसडोल ब्लॉक से ज्यादातर
त्योहार खत्म होते ही बेहतर रोजगार की तलाश में खेतिहर मजदूर महानगरों के लिए रवाना
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 28 नवंबर। त्यौहार खत्म होने के साथ ही अब गांव से लोग तेजी से महानगर के लिए जा रहे हैं। बलौदाबाजार जिला इसमें आगे हैं। बेहतर रोजगार की तलाश में रोज सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण जा रहे हैं। जिले से हर साल सवा लाख से भी ज्यादा ग्रामीण इसी तरह बाहर जाते हैं। इसका पता कोरोनाकाल में तब चला, जब प्रवासी मजदूर यहां लौटे। प्रशासन ने बाकायदा इसकी सूची बनवाई थी।
ग्राम पंचायत से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक जिले से करीब 25 हजार ग्रामीण बाहर जा चुके हैं। अभी फसल कटाई भी चल रही है। इसके बाद कृषि मजदूरों के पास काम नहीं रहेगा। कसडोल के कोलिहा, कोसंसरा, नंदनिया, परसदा, डोगरीडीह, डोगरा, तिल्दा,बाजार भाटा, गंगाई, सुनसुनिया, लटा आदि गांव से ग्रामीणों की जाना शुरू हो चुका है। अधिकतर लोग दिल्ली, मुंबई, त्रिपुरा आदि जा रहे हैं। वहीं यहां भी कहा जा रहा है कि ग्रामीण अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए भी महानगरों में जाकर काम करते हैं।
मजदूर बोले-सोचा था बाहर नहीं जाएंगे
ग्राम कोलिहा के ग्रामीण संतोष पैकरा का कहना है कि कोरोना कल के दौरान अचानक हुए लॉकडाउन के कारण असहनीय तकलीफों का सामना करने के बाद जब अपने घर लौटे थे तो सोचा था अब अपना गांव छोडक़र कभी नहीं जाएंगे, पर गांव में काम नहीं मिलने के कारण मजबूरीवश जाना पड़ रहा है।
कोसंसरा के ग्रामीण से लाल सोनकर का कहना है कि गांव में 15 दिन काम चल 190 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से लगभग 3 हजार मिले थे। इतने कम पैसे गुजारा नहीं हो सकता। ग्राम नंदनिया के ग्रामीण रामलाल बारले ने कहा कि काम के लिए बाहर जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। डोंगरीडीह के मंगलू भगत का कहना है कि सिर्फ मनरेगा के भरोसे जिंदगी नहीं चल सकती।
आर्थिक स्थिति सुधारने भी जाते हैं-पाध्ये
शिक्षाविद एस एम पाध्ये का कहना है कि छत्तीसगढ़ से लोग बाहर काम करने के लिए दो कारणों से जाते हैं। जिसमें से एक है स्थानीय स्तर का प्राप्त दर और संख्या में रोजगार नहीं मिलना और दूसरा आर्थिक विकास की चाहत बाहर जाकर काम करने से लोगों की आर्थिक स्थिति भी सुधार जाती है। यहां खेत मालिकों के पास भी साल भर काम नहीं होते सिर्फ 70 हजार मजदूरों के बनाए गए थे। जॉब कार्ड कोरोना कल में जिले के सिर्फ 70 हजार प्रवासी मजदूरों के लिए ही जॉब कार्ड बने बनाए गए थे। बाद में सालों में भी बनाए गए लेकिन इसका आधिकारिक आंकड़ा सामने नहीं आया। जिसका जॉब कार्ड बना उन्हें मनरेगा में काम भी मिला लेकिन मनरेगा का काम खत्म होने के बाद वे फिर खाली हो गए।
शिकायत नहीं होती
एसपी दीपक झा का कहना है कि स्वेच्छा से अगर कोई बाहर जाता है। तो हम उन्हें नहीं रोक सकते। यदि दलाल लालच देकर ले जाते हैं तो कार्रवाई हो सकती है।
जानकारी नहीं दे रहे
श्रम विभाग के अफसर आजाद सिंह पात्र का कहना है कि मजदूर अपने बाहर जाने की जानकारी पंचायत में नहीं दे रहे हैं। यदि ठेकेदार बड़ी संख्या में ले जाएंगे तो कार्रवाई की जाएगी।