बलौदा बाजार
नामांतरण, डायवर्सन, बटांकन के लिए चक्कर काट रहे लोग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 28 नवंबर। वर्ष 2012 से अस्तित्व में आए बलौदाबाजार भाटापारा जिला गठन के बाद से लोगों में उम्मीद जागृत हुई थी कि उनके राजस्व संबंधित मामलों का निपटारा भी शीघ्र हो सकेगा और उन्हें रायपुर के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। परंतु जिला में प्रशासनिक कसावट की कमी की वजह से लंबित राजस्व मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले करीब 2 माह से चुनावी प्रक्रिया में अधिकारियों के अलावा राजस्व अमले के संलग्न होने की वजह से लंबित प्रकरणों की संख्या बढक़र 7185 हो चुकी है।
आमजनों को अब लंबित प्रकरणों के निराकरण हेतु कम से कम 15 दिसंबर तक और इंतजार करना पड़ सकता है। यदि आंकड़ों का अवलोकन करें तो प्रदेश में सर्वाधिक लंबित मामलों की संख्या में जिला तीसरे नंबर पर है।
विदित हो कि जिला बलौदाबाजार में राजस्व अधिकारियों की आपसी सामंजस्य में कमी की वजह से आज भी नामांतरण, डायवर्सन, बटांकन जैसे कार्यों के लिए आवेदक को राजस्व न्यायालय के चक्कर लगाने मजबूर होना पड़ रहा है। जिसके चलते आवेदकों में रोश भी व्याप्त है। यदि लंबित मामलों के आंकड़ों पर गौर करें तो 11 वर्षीय इस जिला को अपेक्षाकृत पीछे ही कहा जा सकता है।
इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार न्यायालय कलेक्टर बलौदाबाजार भाटापारा के ही मूल न्यायालय में 668 मामले लंबित पड़े हुए हैं। जिसमें आदिवासियों की भूमि का अंतरण सर्वाधिक प्रयोजन हेतु भूमि का अर्जन आबकारी नियम के तहत राजसात के प्रकरणों की संख्या अधिक है। वहीं अनुविभागीय अधिकारी न्यायालयों के अधीन नजूल भूमि की बिक्री या पट्टे पर देने के अलावा अन्य प्रकरण से हस्तांतरण, मानचित्र परिवर्तन पट्टा नवीनीकरण, नामांतरण जैसे मामले बड़ी संख्या में लंबित हैं। जबकि तहसीलदार न्यायालय में कृषि प्रयोजनों के लिए भूमि का आवंटन, नजूल भूमि को पट्टे पर देने, मानचित्र परिवर्तन, नामांतरण, खाता विभाजन, भू अभिलेख संबंधी दस्तावेजों में गलत प्रविष्टि का सुधार जैसे मामलों की संख्या अधिक है।
लगातार छुट्टियां एवं चुनावी प्रक्रिया भी एक कारण
न्यायालय पर कलेक्टर बलौदाबाजार भाटापारा के मूल न्यायालय में लंबित मामलों की संख्या 97 है। जबकि न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी के मूल न्यायालय में लंबित मामलों की संख्या 23, सिमगा 488, बलौदाबाजार 781, गिरौद 104, कसडोल 106, भाटापारा 655 है। वही न्यायालय तहसीलदार सोनाखान अंतर्गत 178, सुहेला 156, पलारी 268, भाटापारा 294, टुंडरा 166, बिलाईगढ़ 2, लवन 445, बलौदाबाजार 639, कासडोल 364, सिमगा 186 मामले मूल न्यायालय में लंबित है। वही न्यायालय अतिरिक्त तहसीलदार भाटापारा में 114, न्यायालय नायब तहसीलदार सांडी 237, न्यायालय अतिरिक्त तहसीलदार बलौदाबाजार 120, पलारी 351, नायब तहसीलदार भाटापारा 90, निपानिया 71, नायब तहसीलदार 2 लवन 1 सुहेला 40, सिमगा 82, कासडोल 48, लवन 225, पलारी 186 समेत कुल लंबित मामलों की संख्या 7185 तक पहुंच चुकी है। लगातार छुट्टियो एवं चुनावी प्रक्रिया भी इसका एक प्रमुख कारण है। मतगणना एवं नई सरकार के गठन तक लंबित मामलों की संख्या और अधिक बढऩे से इनकार नहीं किया जा सकता है।